Sidebar Menu

संपादकीय

Home / संपादकीय

कुछ करो ! कुछ करते हुए दिखो तो सही !!

  • Jan 05, 2019

कहावत है कि पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं, इस लिहाज से जो लगता है वह आश्वस्ति नहीं जगाता।

Read More

सम्पादक की मौत

  • Jul 21, 2018

दैनिक भास्कर के गु्रप एडीटर कल्पेश याग्निक इंदौर में अचानक चले गए, जाने के साथ ही अपने पीछे अनेक सवाल भी छोड़ गए। मृत्यु के बाद उनके परिवारजनों द्वारा पोस्टमार्टम की जिद करने से भी उन कयासों को बल मिला है, जो कल्पेश की मौत के बाद से लगातार उठ रहे है। सार्वजनिक सूचना है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा, अस्पताल में फिर से दौरा आया और बचाया नहीं जा सका। मगर उनके शरीर...

Read More

मंत्रीमंडल का विस्तार

  • Feb 19, 2018

अब जब विधान सभा चुनावों में कुछ माह ही शेष हैं, तब मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रीमंडल का विस्तार किया है। मगर अंगूर अभी टपके नहीं हैं। लटके हैं। मुख्यमंत्री ने दोहराया है कि यह विस्तार अंतिम नहीं है।

Read More

माकपा का राज्य सम्मेलन

  • Dec 13, 2017

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का तीन दिवसीय राज्य सम्मेलन 16 दिसंबर से मुरेना जिले की सबलगढ़ तहसील के मुख्यालय में होने जा रहा है। राजनीतिक पार्टियों के चुनाव होना कोई नई बात नहीं है। मगर पूंजीवादी दलों और क्रांतिकारी पार्टी के सम्मेलन में बुनियादी अंतर होता है।

Read More

12 साल मचा बवाल

  • Dec 01, 2017

प्रदेश और देश के अखबारों में छपे विज्ञापनों का आंकलन किया जाये तो प्रदेश की जनता के पसीने की कमाई के कई करोड़ पानी की तरह बहा दिये गए हैं। यह बताने के लिए बहाये गए हैं कि प्रदेश में सत्ता पर बिराजे शिवराज को बारह साल हो गए हैं। हालांकि बारह ही क्यों? भाजपा सत्ता में 2005 में नहीं, 2003 में आई थी।

Read More

विस्थापन के विरुद्ध

  • Nov 27, 2017

मध्यप्रदेश, कारपोरेट घरानों और भूमाफियाओं की चारागाह बन गया है। प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार चंद औद्योगिक घरानों और भूमाफियाओं के हितों को संरक्षण देने के लिए प्रदेश के किसानों, ग्रामीण गरीबों, विशेषकर दलितों और आदिवासिायों को उनकी पीढिय़ों से काबिज जमीनों से बेदखल किया जा रहा है।

Read More

राम न रहीम के बंदे : सबके अपने गोरख धंधे

  • Nov 27, 2017

एक बलात्कारी को अपराधी करार दिये जाने के बाद केवल पंचुकला या हरियाणा में ही नहीं,बल्कि पंजाब, चंडीगढ़ और दिल्ली में हुई हिंसा को इस तरह से देखे जाने की जरूरत है। राम रहीम को लेकर मीडिया अब जो भी खबरें दे रहा है। वह एक तरफा हैं। सौ एकड़ में फैला उसका आश्रम। आलीशान और भब्य रहन सहन। अरबों खरबों की संपत्ति। और न जाने और क्या क्या?

Read More

संघर्षों से निकलेगा विकल्प

  • Nov 27, 2017

पिछले चौदह साल से प्रदेश की सत्ता पर भाजपा काबिज है। इन चौदह सालों में प्रदेश को नोंच नोंच कर लूटा गया है। यह सही है कि इस लूट में भाजपा और संघ परिवार ही पूरी तरह से शामिल है। मगर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी इस लूट में शामिल है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा की समानताओं का जिक्र करते हुए बहुत पहले तबके कांग्रेसी मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा...

Read More

प्रतिबंधों में प्रतिरोध

  • Nov 27, 2017

एक सवाल और अठारह घंटे की हवालात। राजनीति के इस प्रश्र का गणित तो है। मगर इसका गणित से कोई वास्ता नहीं है। गणित की तरह राजनीति में दौ और चार नहीं होते। दो जमा दो, दो भी रह सकते हैं।

Read More

नर्मदा: क्या क्या डूब रहा है?

  • Nov 26, 2017

जब यह अंक पाठकों के हाथ में होगा तब तक सरदार सरोवर के गेट बंद हो चुके होंगे। धीरे धीरे पानी चढऩा शुरू होगा। इसके साथ ही गांव, घर, खेत, मंदिर, मस्जिद, हमारे बच्चों की शालायें, बुजुर्गों की चितायें सब एक एक कर डूबना शुरू हो जायेंगी। मगर सरकार क्या हमें ही डुबोना चाहती है? नहीं, संघी सरकार की नीयत संदेहों से भरी पड़ी है।

Read More