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प्रदेश भर में मनाया मई दिवस, राजधानी में निकली भव्य रैली, चुनौतियों के मुकाबले के लिए तैयारी का लिया संकल्प

श्रमिकों के अधिकारों को कुचलने के लिए श्रम कानूनों को खत्म किया जा रहा हैं। अब तो केन्द्र सरकार ने बगैर संसद की अनुमति के फिक्स टर्म एम्पलॉयमेंट के नाम पर स्थाई नौकरी पर ही हमला छेडने का कानून बगैर संसद की अनुमति के ही लागू दिया है।

 

भोपाल “पूरी दुनिया के पैमाने पर मजदूर वर्ग पर हमले तेज हो रहे हैं। श्रम अधिकार हो या सामाजिक सुरक्षा के अधिकार, मुनाफे के लालच में तमाम अधिकारों को छीना जा रहा है। विश्व साम्राज्यवाद के इस हमले की चुनौती का केवल मजदूर वर्ग ही मुकाबला कर सकता है।’’ आज शाम अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के मौके पर डाक भवन चौराहे से राजधानी के श्रम संगठनों की भव्य संयुक्त रैली के बाद हुई सभा में वक्ताओं में उपरोक्त उदगार रखें। सभा को एटक के राज्य महासचिव का. रूपसिंह चौहान, सीटू के राज्य महासचिव प्रमोद प्रधान और एआईयूटीयूसी के जे.सी. बरई ने संबोधित किया।

रैली व सभा में बड़ी तादाद में बैंक, बीमा, केन्द्र, राज्य, बीएसएनएल के कर्मचारी, संगठित व असंगठित तबकों के श्रमिक मौजूद रहें। सभा का संचालन बैंक कर्मचारी नेता व्ही.के.शर्मा एवं आभार बीमा कर्मचारी नेता मुकेश भदौरिया ने किया। अध्यक्षता केन्दीय कर्मचारी महासंघ के यशवंत पुरोहित ने किया। रैली व सभा का नेतृत्व बैंक कर्मचारी नेता जे.पी.दुबे, गुणशेखरण, बीमा के सरवर अंसारी, एम.टी.सुशीलन,, केन्द्रीय कर्मचारी नेता एस.सी.जैन, टी.के.आर.पिल्लई, बीएसएनएल के आर.के.तोतरे, एचएस ठाकुर, एटक के रामहर्ष पटेल, शैलेन्द्र शैली, सीटू के अनुराग सक्सेना, शैलेन्द्र शर्मा यूटीयूसी के मुदित भटनागर आदि ने किया। रैली में कर्मचारियों वा श्रमिकों के अलावा बडी तादाद में छात्र, नौजवान, महिलायें व बुद्धिजीवी भी मौजूद रहें।

वक्ताओं ने कहा कि केन्द्र की भाजपा-एनडीए सरकार ने अपने चार साल के कार्यकाल में यह दिखा दिया है कि वह पूर्ववर्ती सभी सरकारों के जनविरोधी आर्थिक नीतियों को लागू करने में बढ़चढ़ कर और आगे निकल गई है। जनता के हर तबके, खासतौर पर मेहनतकशों पर हमलों के तो रिकार्ड तोड दिये गए है। नोटबन्दी की मार से गरीब जनता की कमर ही तोड दी गयी है। महंगाई आसमान छू रही है। बैंको के पैसों को सत्ताधारियों के संरक्षण मे नीरव मोदी, मेहुल चौकसी जैसे घोटालेबाज लूट कर विदेशों में जा बस रहे है। पिछले चार वर्ष के कार्यकाल में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा एनडीए सरकार ने दिखा दिया कि वह किस हद तक जन विरोधी आर्थिक नीतियों को लागू कर सकती है। शुरुआत हुई थी बीमा, रक्षा, रेल आदि में एफडीआई लाने के लिए संसद का दुरूपयोग करने, किसानों के जमीन पर कार्पोरेटों का कब्जा करवाने के लिए भूमि अधिग्रहण कानून को ही बदलने जैसे कदमों से, जो आज नोटबन्दी और जीएसटी की राह से होकर नए कीर्तिमान रच रही है। श्रमिकों के अधिकारों को कुचलने के लिए श्रम कानूनों को खत्म किया जा रहा हैं। अब तो केन्द्र सरकार ने बगैर संसद की अनुमति के फिक्स टर्म एम्पलॉयमेंट के नाम पर स्थाई नौकरी पर ही हमला छेडने का कानून बगैर संसद की अनुमति के ही लागू दिया है।

वक्ताओं ने कहा कि केन्द्र की सरकार इन हमलों के खिलाफ प्रतिरोध को कुन्द करने के लिए खुले रूप से साम्प्रदायिक तत्वों को बढ़ावा दे रही है। विभाजनकारी शक्तियां उफान पर है। गो रक्षा के नाम पर सार्वजनिक हत्याकाण्ड, दलितों पर हमले और अब तो बलात्कार तक का राजनैतिक इस्तेमाल समाज को एक गहरी खाई में धकेलने की साजिश है। वक्ताओं ने कहा कि ऐसी स्थिति मे आशा की किरण सिर्फ साझे संघर्ष से दिख रही है। महाराष्ट्र के किसानों का संघर्ष और दिल्ली में मजदूरों का महापडाव ही वो रास्ता है जिसपर चलकर इन जनविरोधी-पूंजीपति परस्त नीतियों को बदला जा सकता है। हमें वैकल्पिक नीतियों के लिए मेहतनकश वर्ग की विशाल एकता बनानी होगी। आने वाले दिनों मे यही हमारा काम है।

इसके साथ ग्वालियर, जबलपुर, भिंड, इंदौर, नीमच, रीवा, छिंदवाड़ा, उमरिया, अनूपपुर, नरसिंहपुर सहित अन्य जिलो से भी मई दिवस मनाने की खबर है

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