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संघर्ष से मिलती है ताकत : सोनी सोरी

तीन दिनों से चल रहे भोपाल जन उत्सव का आज एक बड़ी रैली और आम सभा के साथ समापन किया गया। देश भर से आए सैकड़ों प्रतिनिधियों ने लोकतांत्रिक मूल्यों एवं वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने और असहमति के अधिकार के लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया। प्रतिनिधियों ने देश के मौजूदा राजनीतिक हालात पर चिंता व्यक्त की और इसे बदलने के लिए युवा, मजदूर, किसान और आम जनता को एकजुट करने का आह्वान किया। पिछले तीनों में लोगों ने भारत की बहुलतावादी संस्कृति की झलक देखी।

 
युवाओं की एकजुटता और संघर्ष से बचेगा लोकतंत्र : मेधा पाटकर
संघर्ष के संकल्प साथ भोपाल जन उत्सव का हुआ समापन
भोपाल जन उत्सव में लोगों ने देखी भारत की बहुलतावादी संस्कृति की झलक
 
भोपाल। तीन दिनों से चल रहे भोपाल जन उत्सव का आज एक बड़ी रैली और आम सभा के साथ समापन किया गया। देश भर से आए सैकड़ों प्रतिनिधियों ने लोकतांत्रिक मूल्यों एवं वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने और असहमति के अधिकार के लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया। प्रतिनिधियों ने देश के मौजूदा राजनीतिक हालात पर चिंता व्यक्त की और इसे बदलने के लिए युवा, मजदूर, किसान और आम जनता को एकजुट करने का आह्वान किया। पिछले तीनों में लोगों ने भारत की बहुलतावादी संस्कृति की झलक देखी। सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ संस्कृतिकर्मियों ने सामयिक मुद्दों पर प्रतिरोध की कलाओं का प्रदर्शन किया। विचार गोष्ठियों के माध्यम से महिला के खिलाफ हो रही हिंसा, शिक्षा पर नवउदारवादी एवं सांप्रदायिक हमले, वैज्ञानिक चेतना को खत्म करने की साजिशों के खिलाफ विमर्श किया गया। इन मुद्दों पर आम जन को जोड़कर लोकतांत्रिक मूल्यों एवं वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए आंदोलन करने की बात की गई।
 
समापन से पहले एक बड़ी रैली निकाली गई। ‘‘ना मजहब, ना कोई विधान, सबसे श्रेष्ठ संविधान’’, ‘‘सबका देश, हमारा देश, भारत देश-भारत देश’’ जैसे नारों के साथ रैली एक आम सभा में तब्दील हो गई। आम सभा को संबोधित करते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने कहा कि जन उत्सव में देश भर के बुद्धिजीवी मन की बात कहने नहीं आए हैं, ये सभी जन की बात कहने आए हैं। आज जनता हिंसा, सांप्रदायिकता, भ्रष्टाचार, विस्थापन से जूझ रही है। इनकी आवाज को उठाने के लिए सभी यहां इकट्ठा हुए हैं। आज विपरीत परिस्थितियों में भी निराशा नहीं है, बल्कि युवाओं ने आवाज को बुलंद किया है। उनकी एकजुटता और संघर्ष से लोकतंत्र बचेगा।
 
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय महासचिव मरियम ढवले ने कहा कि देश में औरतों पर यौन एवं सांप्रदायिक हिंसा बढ़ी है। महिलाओं को उन ताकतों के खिलाफ संघर्ष करना होगा। बस्तर की आदिवासी नेत्री सोनी सोरी ने कहा कि कानून एवं संविधान का सही तरीके से पालन नहीं करने से महिलाओं, दलितों एवं आदिवासियों पर हिंसा हो रही है। सरकार जल, जंगल और जमीन को निजी कंपनियों को देने के लिए आदिवासी इलाकों में हिंसा कर रही है।
 
जन स्वास्थ्य अभियान के डॉ. अमित सेनगुप्ता ने कहा कि हमें ऐसा हिन्दुस्तान चाहिए, जहां सबको सम्मान मिले और सभी न्याय एवं समानता के अधिकार को पा सके और जहां भारत की बहुलतावादी संस्कृति का सम्मान हो। वरिष्ठ कवि राजेश जोशी ने भोपाल की साझी संस्कृति के इतिहास को बताते हुए सभी का स्वागत किया। आम सभा में देश भर के आए वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी हिस्सा लिया।
 
इसके पहले विचार-सत्र में विज्ञान एवं प्रद्योगिकी और आत्मनिर्भरता एवं अत्याचार झेलती महिलाएं पर भी चर्चा की गई। गजानन माधव मुक्तिबोध जन्मशती के संदर्भ में उन पर बनी फिल्म का प्रदर्शन और उनके साहित्यिक योगदान पर चर्चा की गई।

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