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सबरीमाला मंदिर में 50 साल से कम उम्र की 2 महिलाओं का ऐतिहासिक प्रवेश

ऐतिहासिक 'वनिता मैथिल' या 'महिला दिवार' बनाये जाने के चंद घंटो में ही केरल के सबरीमाला में मंदिर में प्रतिबंधित उम्र की 2 महिलाओं ने प्रवेश कर इतिहास रच दिया वे बुधवार सुबह सबरीमाला में भगवान अयप्पा मंदिर में पूजा करने में कामयाब रहीं।

सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर जारी विरोध के बीच समाज में लैंगिक समानता कायम रखने और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की हिफाजत के लिए केरल में 50 लाख से अधिक महिलाओं ने कसारगोड़ के उत्तरी छोर से तिरुवनंतपुरम के दक्षिणी छोर तक 14 जिलों से होकर गुजरने वाले राजमार्गों पर 1 जनवरी 2019 को 620 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनार्इ। ऐतिहासिक 'वनिता मैथिल' या 'महिला दिवार' बनाये जाने के चंद घंटो में ही केरल के सबरीमाला में मंदिर में प्रतिबंधित उम्र की 2 महिलाओं ने प्रवेश कर इतिहास रच दिया वे बुधवार सुबह सबरीमाला में भगवान अयप्पा मंदिर में पूजा करने में कामयाब रहीं।

मल्लपुरम की कनकदुर्गा और कोझीकोड की बिंदू नामक दो महिलाओं ने 2 जनवरी 2019 सुबह 3.45 बजे मंदिर में प्रवेश किया और प्रार्थना की। उनके साथ पुलिसकर्मी भी थे। इन दोनो महिलाओं ने 18 दिसंबर 2018 को भी सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास किया था, जो दक्षिणपंथी हिन्दू संगठनो के भारी विरोध के चलते असफल रहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 को सभी आयु वर्ग की महिलाओं को पुराने प्रतिबंध को हटाते हुए मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू करने के पिनराई विजयन नीत वाम मोर्चा सरकार के कदम का दक्षिणपंथी संगठन लगातार विरोध कर रहे है।

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बयान जारी कर दो महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की पुष्टी की है। उन्होंने बताया कि पुलिस को मंदिर में प्रवेश करने की इच्छा रखने वाली किसी भी महिला को हर संभव सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्थायी आदेश जारी किए थे।

महिलाओं के प्रवेश के बाद मंदिर के तंत्री (मुख्य पुजारी) ने शुद्धिकरण अनुष्ठान के लिए सबरीमाला मंदिर को बंद कर दिया हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के केरल राज्य सचिव कोडियारी बालकृष्णन ने मंदिर को बंद करने के तंत्री के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह अदालत की अवमानना है।

 

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