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बस्तर में रोज संविधान और लोकतंत्र की हत्या होती हैं

  • Jul 30, 2020

#लोकजतन_सम्मान से सम्मानित होने के बाद बोले पत्रकार #कमल_शुक्ला_का_पूरा_भाषण (24 जुलाई 2020)

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सच का दस्तावेज है बस्तर और सच उजागर करने के खतरे तो उठाने ही होंगे , लोकजतन सम्मान से अभिनंदित होने के बाद बोले पत्रकार कमल शुक्ला

  • Jul 25, 2020

32 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में लगे कमल शुक्ला ने कहा कि वे अकेले नहीं हैं। अनेक पत्रकारों ने बस्तर का सच सामने लाया है और सच के लिए खतरे उठाने ही होते हैं सो उठाये हैं। 

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सिंधिया के सामने दो ही विकल्प

  • Jun 03, 2020

ग्वालियर में प्रद्युमन सिंह को महल और नरेंद्र सिंह तोमर का सहारा है। मगर जयभान सिंह पवैया वनवास लेने को तैयार नहीं हैं।

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50 वर्ष की सीटू - जिसने मजदूर आंदोलन की दशा और दिशा बदल दी

  • May 30, 2020

अगर भारत के मजदूर आन्दोलन के एक असंबध्द छात्र के रूप में भी देखें तो साफ़ दिखाई देता है कि सीटू - सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन्स - भारत की ट्रेड यूनियनों का केंद्र - आंदोलन, संगठन और मकसद के जुड़ाव का एक कॉपी बुक डेमोंस्ट्रेशन है - शास्त्रीय प्रमाण है - एक ऐसी मिसाल है जिसके आधार पर मजदूर आंदोलन कैसे संगठित किया जाना चाहिए इसकी पाठ्य पुस्तक लिखी जा सकती है।

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महिला अधिकारों की लड़ाई के महानायक थे बाबा साहब

  • Apr 14, 2020

हिंदुस्तान की आज़ादी के आंदोलन के सबसे बड़े नेताओं में से एक डाॅ बाबासाहेब अम्बेडकर की बडी विषेषता को पीछे कर उन्हे केवल दलितों के नेता के तौर पर स्थापित करना वर्तमान सामाजिक राजनैतिक व्यवस्था की एक बड़ी साजिश थी। बाबासाहेब की राजनैतिक और सामाजिक यात्रा की तुलना केवल महात्मा गांधी से की जा सकती है जिन्होने राजनैतिक प्रश्नो के साथ साथ सामाजिक प्रश्नो को भी अपने लेखों, भाषणों, पुस्तकों में किया। भगतसिंह जरूर अपनी...

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बाबा साहब की अनदेखी का प्रतिफल घुटन भरा वर्तमान और आशंका भरा कल

  • Apr 14, 2020

मौजूदा समय विडम्बना का समय है। बिना किसी अतिशयोक्ति के कहा जाए तो ; देश और समाज एक ऐसे वर्तमान से गुजर रहा है जिसमे प्राचीन और ताजे इतिहास में , अंग्रेजो की गुलामी से आजादी के लिए लड़ते लड़ते  जो भी सकारात्मक उपलब्धि हासिल की गयी थी वह दांव पर है। समाज को धकेल कर उसे मध्ययुग में पहुंचाने पर आमादा अन्धकार के पुजारी पूरे उरूज़ पर हैं - संविधान...

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इतिहास का टर्निंग पॉइंट ; जलियांवाला बाग़ @101

  • Apr 13, 2020

इतिहास के साथ एक सुविधा है, इसे आराम से देखा जा सकता है।  दुविधा यह है कि दीवार पर लटकी तस्वीरों को बदलकर इसे बदला नहीं जा सकता।  इतिहास हमेशा मैक्रो रूप में होता है एक सूर्य के  दीप्तिमान पिंड पुंज की तरह।  इसे नैनो  या माइक्रो करके नहीं देखा जा सकता।  किरण या प्रकाश के आभासीय रेशे में तोड़कर या किसी व्यक्ति या दल से जोड़कर नहीं समझा जाता।  यह प्रवृत्ति और...

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अलविदा कामरेड मूर्ती, लाल सलाम  

  • Apr 12, 2020

कामरेड मूर्ती एक सच्चे अंतर्राष्ट्रीयतावादी थे।  भारत और फ्रांस में उनके योगदान इस बात का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। 

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भोपाल में दो लाख लोग भूख की यातना से गुजरने को मजबुर

  • Apr 11, 2020

कोरोना को लेकर देश में चल रहे लॉकडाउन की वजह से लाखो लोगो के भूखे मरने की नौबत आ गई है। भोपाल एवं प्रदेश में खाने-पीने की चीजो की कमी एवं प्रशासन की विफलता को लेकर लोकजतन के संपादक बादल सरोज ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर भुखमरी से निपटने के लिये जल्द ही ठोस उपाय उठाने की मांग की है। माननीय प्रिय मुख्यमंत्री जी

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पी के मूर्ती : एक असाधारण क्रांतिकारी 

  • Apr 11, 2020

22 मार्च की देर रात पॉन्डिचेरी के नल्लम क्लिनिक में कामरेड पी के मूर्ती ने आखिऱी सांस ली। वे अपने बचपन के दोस्त और पॉन्डिचेरी के सबसे लोकप्रिय चिकित्सक डॉ. नल्लम की देखरेख में दो साल से इलाज करा रहे थे - हम सबको बताया एक साल पहले ही था। अपनी तकलीफों और कामयाबियों के बारे में बताना उनकी आदत में नहीं था।   फ्रांसीसी कब्जे वाली पॉन्डिचेरी के 10 बड़े परिवारों में से एक...

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