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रास्ता सिर्फ वैकल्पिक राजनीति और समाजवाद -सीताराम येचुरी

 इन्दौर। पूंजीवाद अपने संकट का हल आम जनता, मजदूर किसान के आर्थिक शोषण में ढूंढता है और यही आर्थिक शोषण सामाजिक शोषण में परिलक्षित होता है। एक कम्यूनिस्ट को जनता के संघर्ष को आगे बढाने के लिये जनता से उसी तरह जुड़े रहना...

 इन्दौर। पूंजीवाद अपने संकट का हल आम जनता, मजदूर किसान के आर्थिक शोषण में ढूंढता है और यही आर्थिक शोषण सामाजिक शोषण में परिलक्षित होता है। एक कम्यूनिस्ट को जनता के संघर्ष को आगे बढाने के लिये जनता से उसी तरह जुड़े रहना चाहिये जैसे मछली पानी के साथ जुडक़र रहती है। उक्त बात मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड सीताराम येचुरी ने कही। वे यहाँ इंदौर प्रेस क्लब के राजेन्द्र माथुर सभागार में मध्यप्रदेश के पार्टी सदस्यों के बीच पार्टी की 22वीं कांग्रेस के राजनैतिक प्रस्ताव की रिपोर्टिंग कर रहे थे। पार्टी की 22वीं कांग्रेस (राष्ट्रीय सम्मेलन) हैदराबाद में विगत 18 अप्रैल से 22 अप्रैल 2018 में सम्पन्न हुई थी।

22वीं कांग्रेस में स्वीकृत प्रस्तावों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस पाटी कांग्रेस में सबसे अधिक प्रस्ताव संशोधन हेतु आये थे। यह महत्वपूर्ण है और इस ओर इंगित करता है कि पार्टी से सदस्यों का जुड़ाव व सक्रियता का स्तर कितना अधिक है और यह अच्छी बातहै। अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय परिस्थितियों पर उन्होंने कहा कि 21वीं पार्टी कांगेस के बाद से अभी तक दक्षिणपंथी रुझान बढ़ा है और पूंजीवाद अपने संकट का हल इसी तरीके से ढूंढने में लगा हुआ है। 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट का हल आज तक नहीं निकला है और आर्थिक बदहाली अधिक हुई है  तथा इसी कारण आर्थिक शोषण तो बढ़ा ही हैै।

येचुरी ने कहा कि वर्तमान भारतीय सरकार अमेरिकी की पिछलग्गु बनी हुई है और अमेरिकी नीतियों का पोषण करती हुई नजर आ रही है। उसने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार से अधिक तेजी से नव उदारवादी की नीतियों को लागू किया है। भारत में पिछले चार सालों में ऐसा कोई सार्वजनिक क्षेत्र नही बचा है जहां विदेशी पूंजी निवेश के दरवाजे 100 प्रतिशत तक नहीं खोले गये है। भाजपा और उसकी सरकार ने अपने पुराने रुख से ठीक यूटर्न लेते हुए खुदरा और रक्षा तक के क्षेत्रों मे एफडीआई को अनुमति दी है। न सुविधाओं में निजीकरण पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ साथ हवा का भी निजीकरण किया जा रहा है।  नोटबंदी जिन उद्देश्यों को बता कर की गई है उनमें से एक भी पूरा नही हुआ बल्कि पाकिस्तान में छपा रुपया हमारे देश में सफेद धन में परिवर्तित हो गया और नोटबंदी का सबसे बड़ा फायदा वीजा, मास्टर कार्ड जैसी विदेशी कंपनियों को हुआ। जीएसटी और नोटबंदी ने देश में बेरोजगारी बढ़ा दी। इनफार्मल सेक्टर (सब्जी, दूध या अन्य जनरल सामान का ठेला लगाने वाले) को इससे बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा है और वे रोजगार की दौड़ से बाहर हो गये। छोटे धंधों का मुनाफा बड़े लोगों के पास चला गया है। इससे बढ़ती नाराजगी से लोगों का ध्यान हटाने के लिये दक्षिणपंथी रुझान बढ़ाया जा रहा है देश में माब लिचिंग, अपहरण, मारल पोलिसिंग, बलात्कार की घटनाओं के साथ दलितों पर अत्याचार व शोषण बढ़ा है। कृषि पर संकट आसन्न है। किसानों को उनके फसलों के दाम नही मिल रहे है। विकसित देशों में उत्पादित अनाज के लिए भारतीय कृषि मंडियों को खोला जा रहा है।

अमेरिका के साथ सैनिक अभ्यास के कारण पड़ोसी देशों से भारत के संबंध बिगड़ रहे है। केवल भूटान को छोडकर पड़ौसी किसी भी देश से संबंध सामान्य नही है।
इस दौर की पहचान इन्ही नीतियें के खिलाफ बढ़ते प्रतिरोध से होती है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के किसान मार्च, 02 सितंबर की ट्रेड यूनियन हड़ताल, राजस्थान के किसान आंदोलन, रोहित रेमुल्ला, साम्प्रदायिकता  तानाशाही हमलों के खिलाफ छात्र संघर्ष, लेखकों-पत्रकारों की हत्या के खिलाफ जनप्रतिरोध, जनएकता व जनअधिकार आंदोलन जैसी संयुक्त कार्यवाहियां हुईं है। भाजपा एक प्रतिक्रियावादी पार्टी है जो फूटपरस्त और साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने का मंच है। लोगों की मानसिकता और चेतना को हिंदू राष्ट्र के अनुकुल बनाना भाजपा, आरएसएस और उनके अनुषांगिक संगठनों का प्रमुख लक्ष्य है।

येचुरी ने बताया कि आज भी हम अघोषित आपातकाल के खिलाफ संघर्ष कर रहे है। ऐसे यह तय है कि पूंजीवादी और विभाजनकारी नीतियों के पास किसी भी संकट या समस्या से निपटने का समाधान नही है और यह रास्ता केवल समाजवाद के पास है। वैकल्पिक नीतियो को बनाने और उन्हें लागू करने की दिशा में माकपा को एक बड़ी भूमिका अदा करनी है। पार्टी की स्वतंत्र शक्ति में बढ़ोतरी, पार्टी को आगे बढाना वामपंथी तथा जनतांत्रिक एकता के निर्माण की चाबी है।  उन्होंने कहा वामपंथी जनतांत्रिक मोर्चे के साथ वामपंथी जनतांत्रिक कार्य को लेकर जिनमें धर्मनिरपेक्षता, संघवाद और जनतंत्र अक्षुण रखना, आर्थिक नीति और विकास को जनता के अनुकुल बनाना, देश की मेहनतकश जनता के अधिकारों की रक्षा करते हुए सामाजिक न्याय और नागरिक अधिकारों के लिये जिनमें दलित, सबसे पिछडें, आदिवासी, अल्पसंख्यक, विकलांग, युवाओं तथा बच्चों के अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा पर्यावरण, संस्कृति और मीडिया तथा विदेशी नीतियों के लिये हमारी तय राजनैतिक लाइन के अनुसार कार्य करना हमारा लक्ष्य है।

(शैलेन्द्र सिंह ठाकुर )

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