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शवराज में उखडऩा गाँधी की समाधि का

सरदार सरोवर परियोजना के तहत बड़वानी जिले में बरसों से स्थापित महात्मा गाँधी की समाधि को मध्यप्रदेश सरकार ने जेसीबी मशाीनों से उखाड़ दिया । इस समाधि में कस्तूरबा गाँधी और महादेव भाई देसाई के भी अस्थिकलश थे, उन्हें भी उखाड़ दिया गया ।

 राजेश जोशी@इसलिए

सरदार सरोवर परियोजना के तहत बड़वानी जिले में बरसों से स्थापित महात्मा गाँधी की समाधि को मध्यप्रदेश सरकार ने जेसीबी मशाीनों से उखाड़ दिया । इस समाधि में कस्तूरबा गाँधी और महादेव भाई देसाई के भी अस्थिकलश थे, उन्हें भी उखाड़ दिया गया । यह एक घटना है और उसकी यह सूचना या कह लें कि खबर है । यह तो आपको अखबार से या टीवी से मिल ही गयी होगी। हो सकता है इन माध्यमों से नहीं मिली हो । क्योंकि इस घटना और विस्थापन के विरूद्ध वहाँ मेघा पाटकर सहित बहुत सारे संगठन के लोग धरने और उपवास पर बैठ गये हैं और बिके हुए अखबार खास तौर से हिन्दी के अखबार और लगभग सभी न्यूज़ चैनल तो इन खबरों को दिखायेंगे नहीं । ये न्यूज़ चैनल नहीं हैं, आप इन्हें यूज़्ड चैनल भी कह सकते हैं , जिन्हें खरीद कर यूज़ कर लिया गया है और फैंक दिया गया है। यूज़ एण्ड थ्रो की संस्कृति है भाई। तो आप इस खबर को विस्तार से सोशल मीडिया पर तो देख ही सकते हैं ।


मेरा उद्देश्य आपको इस खबर की सूचना देना नहीं हैं । सिर्फ इस पूरी खबर के दो हिस्सों पर आपका ध्यान खींचना चाहता हूँ पहला यह कि यह सरदार सरोवर परियोजना के तहत हुआ और दूसरा यह कि महात्मा गाँधी की समाधि को खोद कर हटा दिया गया । क्या आपको नहीं लगता कि यह रूपक इस सरकार का याने भारतीय जनता पार्टी की सरकार का वर्तमान चरित्र बताने के लिये काफी है । मोदी जी ने आते ही सरदार की विशाल प्रतिमा बनाने और उसे समुद्र में लगाये जाने की घोषणा की थी। यह मूर्ति स्टेचू ऑफ लिबर्टी से भी ऊँची होगी । यह मूर्ति कहा जाता है कि चीन में निर्मित हो रही है ।

इस घोषणा के बाद विगत तीन साल में गाँधी के साथ क्या क्या किया गया , यह तो सबको विदित है । एक तरफ़ गाँधी का नाम जपा गया और दूसरी ओर गोडसे की प्रतिमा की स्थापना करने और बार बार उसको नायक बनाने की कोशिश लगातार जारी है । गाँधी को स्वच्छता अभियान तक सीमित कर दिया गया और सारे देश में हिंसा का नंगा नाच सडक़ों पर प्रदर्शित होता रहा । अल्पसंख्यकों और दलितों की हत्याएँ की गयीं । जी एस टी के समय एक बार फिर कहा गया कि जिस तरह सरदार पटेल ने रियासतों को जोड़ कर इस देश को बनाया था , जी एस टी भी लगभग उतनी ही महत्वपूर्ण घटना है जो देश को एक कर रही है । याने मोदी जी ने अपना क़द सरदार पटेल के बराबर तो कर ही लिया ।


बड़वानी जिसे की महात्मा गाँधी की समाधि को सरदार सरोवर में डुबाया भी जा सकता था । लेकिन उखाड़ फेंकने का जो अर्थ बनेगा वह शायद डुबा देने में नहीं बन पाता। उखाढ़ फेंकने का अर्थ महत्वपूर्ण है जैसे बिहार में भाजपा की बढ़त को धक्का लगा कर भाजपा के विरोध की सरकार बन गयी थी उसे भी मोदी जी ने उखाड़ दिया ।

हालांकि भारतीय राजनीति में समाजवादी हमेशा से सबसे अधिक अविश्वसनीय रहे हैं । यूँ ही नहीं नितीश के दोगले चरित्र के साथ जार्ज फर्नांडीस को याद किया गया । मुलायम सिंह ने जिस तरह परमाणु संधि के समय विपक्ष को धोखा देकर कांग्रेस से हाथ मिलाया था , वह भी कोई पुरानी घटना नहीं है । यही नहीं अपने और अपने भाई को बचाने के लिये उन्होंने तो अपने ही बेटे और अपनी ही पार्टी को भी जिस तरह धोखा दिया , उत्तरप्रदेश के ताजे चुनाव में उसे सबने देखा । जब ऐसा इतिहास समाजवादियों ने स्वयं रचा हो तो भाजपा को उनकी सरकारों को उखाडऩे में क्या समय लगेगा।


मोदी जी और मध्यप्रदेश के शवराज जी ने गाँधी की समाधि को उखाड़ कर शायद यह कहना चाहा होगा कि हम जब गाँधी को उखाड़ सकते हैं तो बाकी किसी की क्या मजाल है .....जो हमारे सामने टिके ! उखाडऩे की इस प्रक्रिया में कौन उखड़ेगा यह समय बतायेगा ! 

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