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जेटली की केटली गरम हो रही है

अंग्रेजी की एक कहावत है लिटिल पाट सून हॉट। आजकल जेटली जी की केटली भी बहुत जल्दी गरम हो जाती है। हालांकि केन्द्रीय वित मंत्री को छोटा बरतन नहीं कहा जा सकता, लेकिन जेटली जी को बात बात पर गुस्सा आ जाता है।

राजेश जोशी@इसलिए           

अंग्रेजी की एक कहावत है लिटिल पाट सून हॉट। आजकल जेटली जी की केटली भी बहुत जल्दी गरम हो जाती है। हालांकि केन्द्रीय वित मंत्री को छोटा बरतन नहीं कहा जा सकता, लेकिन जेटली जी को बात बात पर गुस्सा आ जाता है। अब एक जगह बुलेट ट्रेन पर बोल रहे थे कि एक लडक़े ने सवाल कर दिया कि बुलेट टेऊन को हिन्दी में क्या कहते हैं? जेटली जी उखड़ गये, गुस्से में बोले कि जरा संजीदा बनो। हालांकि तय है कि बुलेट ट्रेन का अनुवाद संजीदा बनो नहीं हो सकता। शायद जेटली जी बताना चाहते रहे होंगे कि हिन्दी बोलने वालों की इतनी औकात नहीं है कि वो बुलेट ट्रेन में बैठ सकें। अब कल ही परेल में एक संकरे रेल्वे ब्रिज पर भगदड़ मच जाने से बाईस आदमी मर गये और चालीस से ज्यादा लोग घायल हो गये्र। बताया गया कि इस ब्रिज की खस्ता हालत के बारे में शिवसेना ने रेल मंत्री को पत्र लिखा था और मंत्री महोदय ने जवाब में लिखा था कि इस समय बजट में इतना पैसा नहीं है कि ब्रिज को चौड़ा किया जा सके।  


ब्रिज कोई बुलेट ट्रेन से संबन्धित नहीं है कि उस पर खर्चा किया जा सके। ब्रिज से आने जाने वाले यात्री वे नहीं हैं जो बुलेट ट्रेन के यात्री बनेंगे। यह देश और वर्तमान सरकार सिर्फ ऊपर देखती है। उसे न्यू इंडिया बनाना है । एक सरकार अटल जी की थी जिसे शाइनिंग इंडिया बनाना था । उसे भी उन नागरिकों से मतलब नहीं था जो जनरल बोगी में जानवरों की तरह ठुस कर यात्रा करते हैं। भगदड़ों में मारे जाते हैं। इस सरकार को भी जनरल बोगी के यात्रियों से कोई लेना देना नहीं है। उसे कारपोरेटस् के बारे में सोचना है। उनकी सुविधाओं के बारे में सोचना है। गनीमत है कि रेल मंत्री प्रभु ने यह बयान नहीं दिया कि इस तरह की साधारण घटनाएँ होती रहती हैं और सितम्बर में रेल यात्री हमेशा मरते हैं । रेल मंत्री चाहें तो बयान देने के लिये जोगी आदित्यनाथ से कुछ जुमले मांग सकते हैं।


एक लडक़े ने बुलेट ट्रेन के लिये हिन्दी शब्द पूछ लिया तो जेटली जी ने उसे डपट दिया। अभी इस सदमें से उबरे भी नहीं थे कि अटल सरकार में वित मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा ने अर्थव्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिये। जेटली जी की केटली पुन: गरम हो गयी। केटली के गरम होने और उसकी टोंटी से निकलती भाप को देखकर ही कभी रेल के इंजन का अविष्कार हुआ था। जेटली की केटली के गरम होने के बाद कौनसा अविष्कार जन्म लेगा देखना है? फिलहाल तो जेटली जी ने यशवंत सिन्हा पर पलटवार किया तो यशवंत सिन्हा न जेटली को उनकी औकात दिखादी। सिन्हा ने कहा जिन लोगों ने अभी तक लोकसभा का मुँह नहीं देखा वो मुझसे क्या बात करेंगे।

जेटली के इस वाक्य के उत्तर में कि सिन्हाजी अस्सी बरस की उम्र में नौकरी ढूंढ रहे हैं। यशवंत सिन्हा ने बता दिया कि वो अपनी आई ए एस की नौकरी को पन्द्रह बरस पहले छोड़ कर राजनीति में आये थे। कुल जमा यह कि भाजपा के अंदर मोदी के आने के तीन साढ़े तीन साल बाद किसी ने मुँह खोला है। हालांकि मुँह जेटली के खिलाफ़ खोला गया है । मोदी का उल्लेख इसमें नहीं है। लेकिन यह आटो रिक्शा सरकार है। इसके दो पिछले पहिये हैं अमित शाह और जेटली और अगला पहिया मोदी। तो यह आटो रिक्शा सरकार फिलहाल घाटी पर चढ़ते हुए बार बार हाँफ रही है। आटो रिक्शा भुर्र...भुर्र कर रहा है। और अपने ही लोग हैं कि आटो रिक्शा की गति और सामथ्र्य पर उंगली उठा रहे हैं।


जेटली की केटली कितनी ही गरम हो जाये इस भाप से कोई नया इंजन नहीं बन सकता , यह बात सबका समझ आगयी है ।

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