सीपीएम राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र लिखकर उनसे प्रभावी कदम उठाने का अनुरोध किया है।
उन्होंने कहा है कि कोरोना वायरस से पैदा हुए हालात काफी चिंताजनक हैं। इस परिस्थिति से निबटने के लिए राहत कार्यों को तेज करने की जरूरत है। प्रदेश में कालाबाजारी फलफूल रही है। यह बेहद चिंतनीय है कि विपदा किे इस घड़ी जब हमें कमजोर और असहाय तबकों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए, प्रशासनिक संरक्षण में इन्हें बेरहमी से लूटा जा रहा है। खाद्यान की वस्तुओं की कीमतों में तीन दिन में ही आये उछाल के कई उदाहरण भी उन्होंने दिए और बताया कि किस तरह आटा 22 -24 रुपये से 45-50 , तेल सरसों 90-95 से 115-120, तेल सोया 85-90 से 105-110, शक्कर 35-36 से 40-42, तुअर दाल 80-82 से 105-110, मूंग दाल 85-90 से 110-115 , चना दाल 50-55 से 70-75, मसूर 50-55 से 70-75 पहुँच गए है।
माकपा राज्य सचिव के मुताबिक़ जब कोरोना वायरस के चलते टोटल लाँकडाउन है। असंगठित क्षेत्र के सारे कामकाज ठप्प हैं। दिहाड़ी मजदूर,ठेला खोमचा वाले श्रमिक, आटो, टेंपो और रिक्षा चालक, खेत मजदूर, निर्माण मजदूर, घरेलू कार्यों में लगी महिलाओं सहित गरीब परिवारों की आय का जरिया खतम हो गया है, तब उनको राहत देने की बजाय यह परिस्थिति सरकार और प्रशासन की असंवेदनशीलता को प्रदर्शित करती है।
उन्होंने ध्यान दिलाया कि सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आम नागरिकों को मिलने वाले राशन के संबंध में आदेश दिया है कि अब दो माह का राशन वितरित किया जायेगा। मगर कोरोना वायरस से लाँकडाउन के चलते हमें प्राप्त जानकारी के अनुसार ४७ प्रतिशत दुकानो पर ही राशन पहुंच पाया है। चिंताजनक स्थिति यह है कि दूरदराज के आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में ही अनाज नहीं पहुंचा है, जहां इसे सबसे पहले पहुंचाये जाने की आवश्यकता है। ट्रांसपोर्ट की आपातकालीन व्यवस्था कर उक्त राशन सार्वजनिक वितरण की दुकानो तक पहुंचाया जाये। उन्होंने बीपीएल के बाहर के लाखों में परिवारों को भी राशन उपलब्ध कराने की मांग की। गरीब बस्तियों, असहाय परिवारों और अप्रवासी मजदूरों और उनके परिवारों को भोजन पहुंचाने के लिए आंगनवाड़ी केन्द्रों या सरकारी स्कूलों को सामुदायिक रसोई के तौर पर विकसित किये जाने के कदम उठाने का सुझाव भी दिया है।
लाँकडाउन के कारण शहरों से अपने घरों को लौट रहे श्रमिकों के भोजन तथा सलामत वापसी के लिए प्रबंध का सुझाव भी माकपा ने दिया है।
प्राईवेट नर्सिंग होम्स, की बंदी को उनके मालिकों का आपराधिक काम बताते हुए उन्होंने मांग की है कि जिला प्रशासन की पहल पर सरकारी अस्पतालों और प्राईवेट नर्सिंग होम्स में समन्वय स्थापित किया जाये और उन्हें भी अपनी भूमिका निबाहने के लिए कहा जाये।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सामूहिक प्रयासों को बढ़ाने के लिए राज्य स्तर पर सर्वदलीय बैठक का आयोजन करने और उसके बाद जिला स्तर पर सर्वदलीय बैठकें बुलाकर इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति से निबटने सामूहिकता बढ़ाने की भी मांग की है।
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