संध्या शैली की रिपोर्ट
भोपाल। इस साल मध्यप्रदेश की स्थापना की साठवीं साल मनाते वक्त करोड़ों रूपये फूँक कर शोर और प्रचार करने वाले मुख्यमंत्री और उनके अमले की काली भेड़ें और सफेद हाथी कितने गैरजिम्मेदारए असंवेदनशील और अमानवीय हो गये हैं यह साबित किया ठीक उस दिन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अपने साथ एक दिन पहले हुई ज्यादती की रिपोर्ट लिखवाने के लिये थाने थाने अपने मां पिता के साथ भटकती युवती के द्वारा सही गयी यंत्रणा से।
विडम्बना यह थी कि एक ओर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के कथित ब्रांड एम्बेसडर स्वयंभू मामा शिवराज सिंह रंगारंग कार्यक्रम में चुटकुलों और फूहड़ नाच का रस ले रहे थे वहीं मेधावी लड़की अपने साथ हुए गैंग रेप की शिकायत के लिये मारी मारी घूम रही थी। विडम्बना की अति यह थी कि खुद उस लड़की के पिता उसी पुलिस विभाग के अधिकारी थे जो इसके बावजूद उनकी रिपोर्ट तक लिखने को राजी नहीं था।
31 अक्टूबर की शाम सात बजे आईएसओ सर्टिफिकेट प्राप्त और प्रदेश के पहले निजी हाथों में दिये गये रेलवे स्टेशन हबीबगंज के पास के इलाके में कोचिंग से लौटती और अपनी ट्रेन पकडऩे के लिये प्लेटफार्म की ओर बढ़ती एक उन्नीस साल की युवती को नाले में खींचकर चार अपराधियों ने न सिर्फ सामूहिक बलात्कार किया बल्कि उसे गला दबाकर मारने की भी कोशिश की। लेकिन जब पीडि़ता अपनी शिकायत दर्ज करने पुलिस थाने गयी तो पुलिस ने न केवल अपनी सीमा का बहाना करके उसे एक थाने से दूसरे थाने घुमाया बल्कि 24 घंटे के लंबे इंतजार के बाद जो रिपोर्ट लिखी वह भी बेहद कमजोर धाराओं के साथ लिखी।
घटना की जानकारी मीडिया के माध्यम से होते ही पूरा शहर सड़कों पर अलग अलग तरीके से आ गया। जनवादी महिला समिति सहित अनेक महिला संगठनों ने प्रदर्शन किये। कई हजार की संख्या में छात्र-छात्रायें भी सडकों पर उतर आये। इसके बाद कहीं जाकर पुलिस हरकत में आयी और आनन फानन में उन सभी थानों के थाना प्रभारियों को निलंबित कर दिया गया या किसी और स्थान पर अटैच कर दिया गया।
मगर जब मेडिकल रिपोर्ट सामने आयी तो यह साफ हो गया कि जनाक्रोश से डरकर रिपोर्ट भले लिख ली गयी हो घटना के प्रति कोई शर्मिंदगी सरकार या प्रशासन में नहीं है। जले पर नमक छिडकऩे जैसा मेडिकल किया, सरकारी अस्पताल की ड्यूटी की डॉक्टर ने जिसने उस घटना को आपसी सहमति से की हुई बताया। इस बेहूदगी पर एक बार फिर से जब आक्रोश की आवाज उठी तो उस मेडिकल रिपोर्ट को ठीक किया गया और संबंधित डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया।
इसके बाद बयानों की बाढ़ के बीच यह घोषित कर दिया गया कि पूरे मामले की जांच एसआईटी से करायी जायेगी। हाइकोर्ट ने भी इसका संज्ञान लेते हुये खुद ही इसकी जांच करने का आदेश जारी भी किया।
इस घटना के बाद कोचिंग संस्थानो को सात बजे के बाद न चलाने के प्रदेश के शिक्षा मंत्री के तुगलकी बयान को भी तीव्र निंदा के बाद ही वापस लिया गया।
शुरुआती आंदोलनात्मक कार्यवाही के बाद अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति ने पीडि़त के परिवारजनों से चर्चा कर हर तरह की मदद तथा सहयोग की पेशकश की है। परिजनों ने जमस के सहयोग को सराहते हुए जमस प्रदेशाध्यक्षा नीना शर्मा को बताया कि पीडि़ता को अब तक किसी भी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिली है।
महिला संगठनों के प्रतिनिधि मंडल ने प्रदेश के महिला सशक्ति करण विभाग के संयुक्त संचालक से मुलाकात कर उनसे मांग की है कि पीडि़त की शिक्षा एवं स्वास्थ्य और न्याय के लिये आवश्यक आर्थिक जरूरतें सरकार वहन करें।
प्रतिनिधिमण्डल में जमस से संध्या शैली, नीना शर्मा, बीजीव्हीएस से आशा मिश्रा, प्रमोद मिश्रा, एका संगठन की निधि जोशी और संगिनी से प्रार्थना मिश्रा शामिल थी।
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