राजनैतिक संवाददाता
अक्टूबर क्रांति की शतवार्षिकी के साल भर चले पालन का 7 नवंबर को समापन हो रहा है। सी पी आइ (एम) की 21वीं कांग्रेेस ने 7 नवंबर 1916 से 7 नवंबर 2017 तक इस शताब्दी के पालन का आह्वïान किया था।
इन बारह महीनों के दौरान जगह-जगह पर पार्टी इकाइयों ने जन सभाओं, लाल वालंटियर मार्चों, सेमिनारों, प्रदर्शनियों तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन किए हैं। पार्टी अखबारों के विशेषांक निकाले गए हैं। विभिन्न भाषाओं में पुस्तिकाओं की लाखों प्रतियां प्रकाशित की गयी हैं तथा बांटी गयी हैं। अक्टूबर क्रांति के इस संदेश को देश के कोने-कोने तक ले जाया गया है कि पूंजीवाद और साम्राज्यवाद का विकल्प है।
आज जब साम्राज्यवाद अपने आक्रामक कदम जारी रखे हुए है और दुनिया को लुटेरे नवउदारवादी पूंजीवाद का शिकार बनाया जा रहा है, साम्राज्यवादविरोधी तथा पूंजीवादविरोधी अक्टूबर क्रांति उन सभी लोगों के प्रेरणा देती है जो वर्गीय शोषण तथा अन्यायपूर्ण समाज व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष में लगे हुए हैं।
भारत में सत्ता में बैठी दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी ताकतों ने मेहनतकश जनता का शोषण तेज कर दिया है, अल्पसंख्यकों को हमलों का निशाना बनाया है और एक तानाशाही थोप दी है जो जनतांत्रिक अधिकारों तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलती है। यह प्रतिक्रिया वह चेहरा है जो तमाम धर्मनिरपेक्ष, जनतांत्रिक तथा प्रगतिशील मूल्यों से नफरत करता है।
रूसी क्रांति से भी दक्षिणपंथी प्रतिक्रियावादी ताकतें भड़क उठी थीं और उन्होंने इस क्रांति को हिंसा तथा खून-खराबे से डुबाने की कोशिश की थी। ये ताकतें विफल हुइंं और सोवियत संघ में सोवियत राज्य तथा समाजवाद का निर्माण हुआ।
इस शताब्दी परिपालन में मार्क्सवाद-लेनिनवाद को बुलंद रखने का और अक्टूबर क्रांति की समकालीन प्रासंगिकता को उभारने का विचारधारात्मक अभियान भी सामने आया।
लाल अक्टूबर के 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर हम वर्गीय शोषण, सामाजिक उत्पीडऩ तथा साम्राज्यवादी वर्चस्व के खिलाफ संघर्ष चलाने के अपने संकल्प को फिर से दोहराते हैं। हमें माक्र्सवादी सिद्घांत तथा व्यवहार को आगे ले जाना होगा ताकि सामाजिक रूपांतरण तथा समाजवाद के लिए एक शक्तिशाली आंदोलन का निर्माण कर सकें।
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