गोहद। जब प्रदेश की भाजपा सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाने का अभियान छेड़ 2018 के विधान सभा चुनावों की तैयारी में जुटी है,तब उसकी सामंतपरस्त और मनुवादी नीतियों के परिणामस्वरूप भिंड जिले के एंडोरी पुलिस थाने के अंर्तगत गांव लोहरी का पुरा में एक दलित परिवार को अपने बुजुर्ग का पिता का अंतिम संस्कार भी श्मसान में नहीं करने दिया गया। मजबूर होकर उन्हें अपने घर के बाहर ही पिता का दाह संस्कार करना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि लोहरी गांव का कप्तान बाल्मीकि पिछले कई दिनों से बीमार चल रहा था। शनिवार-रविवार की रात्रि में उसके मृत्यु हो गई। जब उसका बेटा रामौतार बाल्मीकि और लाल सिंह बाल्मीकि गांव के अन्य दलितों के साथ श्मसान में अपने पिता की चिता सजा रहे थे, तो दलितों ने आकर उन्हें धमकाया और दाह संस्कार करने से रोक दिया। मजबूरी में उन्हें अपने पिता का दाह संस्कार अपने घर के बाहर करना पड़ा।
घटना की सूचना मिलते ही दलित शोषण मुक्ति मंच का तीन सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल लोहरी गांव जाकर पीडि़त परिवार से मिला। प्रतिनिधि मंडल में प्रांतीय संयोजक जुगुल किशोर पिप्पल, प्रेम नारायण माहौर और रामबाबू जाटव शामिल थे। प्रतिनिधि मंडल ने नोट किया कि दबंग जो चार किलोमीटर दूर चंदोखर गांव के हैं, उन्होने न केवल श्मसान की भूमि बल्कि गांव के चरनोई और अन्य सरकारी भूमि पर भी कब्जा कर रखा है।
यही वजह है कि दिग्विजय सिंह के दलित एजेंडे के तहत इस गांव के किसी भी दलित को भूमि नहीं मिली। दबंगों का आतंक इतना है कि कोई भी बोलने का साहस नहीं कर पा रहा है। प्रतिनिधि मंडल ने उन्हें हर संभव मदद करने का भरोसा दिलाया है। इस दबाव के बाद पुलिस दो आरोपियों को गिरफ्तार करने को तो बाध्य हुई है, मगर दलित उत्पीडऩ के अलावा अन्य धाराओं को न लगाकर पुलिस ने उनके बचने का रास्ता भी साफ कर दिया है।
इधर भोपाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में कहा है कि यह विड़बना ही है कि स्थानीय विधायक, जो शिवराज सरकार में मंत्री भी है, और हत्या के आरोप में फरारी भी काट कर जमानत पर है, दलित उत्पीडऩ की इस घटना पर चुप है,क्योंकि उन्हें भी चुनाव जीतने के लिए इन्हीं सामंतों के समर्थन और संरक्षण की जरूरत होती है। माकपा ने दलित परिवार को संरक्षण दिये जाने के साथ ही अपराधियों को कड़ी सजा दिलाने और पीडि़त परिवार के लिए दस लाख रुपये की मांग की है।
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