करेली। म.प्र. विज्ञान सभा के सहयोग से महात्मा गांधी महाविद्यालय करेली के भौतिक शास्त्र विभाग द्वारा सुपरमून, ब्लूमून एवं कापरमून पूर्ण ग्रहण पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें विभागाध्यक्ष डॉ. पी.एन.वर्मा ने विषय विशेषज्ञ के रूप में इस अद्भुत खगोलीय घटना के बारे में छात्र-छात्राओं को पावर पाइंट के माध्यम से रोचक जानकारी प्रस्तुत की।
उन्होंने बताया कि देशवासियों को इस अद्भुत खगोलीय घटना के साक्षी होने का 152 वर्ष बाद यह अवसर प्राप्त हो रहा है। इससे पूर्व इस तरह का ग्रहण 1866 में हुआ था। इस बार पुन: सुपरमून, ब्लूमून एवं कापरमून तीनों रूपों के दीदार एक साथ हो सकेंगे। भारत में यह दृश्य शाम लगभग 05:18 बजे से दिखाई देना शुरू होगा, जो कि शाम 08:40 बजे तक देखा जा सकेगा। सुपर मून उस घटना को कहते हैं जब चांद धरती के करीब आ जाता है।
एक महीने में दो बार पूर्ण चांद का निकलना ब्लूमून कहलाता है तथा ग्रहण के समय प्रथ्वी के वायुमंण्डल से सूर्य का प्रकाश प्रकीर्णित होकर लाल रंग की किरणें ही आंशिक रूप से चांद तक पहुंचेंगी जिसके कारण चांद लाल या कॉपर रंग का दिखाई देगा इसे कापर मून कहते हैं। कार्यशाला में उपस्थित कार्यक्रम अध्यक्ष, महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.आरके आचार्य द्वारा बताया गया कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से छात्र-छात्राओं में वैज्ञानिक रूचि पैदा होती है एवं समाज में फैली भ्रांतियां दूर करने में सहायक होते हैं।
मुख्यअतिथि, उपप्राचार्य डॉ.यू.एस.परमार ने अपने उद्बोधन में छात्र-छात्राओं द्वारा रूचि पूर्वक विशेष उत्साह के साथ भागीदारी करने की प्रशंसा की। विशेष अतिथि के रूप में विज्ञान संकाय प्रमुख डॉ.ए.के.अग्रवाल की भागीदारी रही। इस कार्यक्रम के द्वारा हमें चंद्रग्रहण के बारे में जानकारी प्राप्त हुई एवं ब्रम्हांण्ड व सौर मण्डल के बारे में परिचित हुये।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के डॉ.एके बाजपेयी, डॉ.पीके खरे, प्रो.संजीव व्यवहार, टीएस राजपूत, डॉ.संजीव चौबे, प्रदीप दुबे. पंकज नेमा, अंकित चौकसे, तरूण कोल. अंशुल नेमा, अनुपम पटैल, सुश्री रानू ठाकुर, श्रीमती अनामिका श्रीवास्तव, श्रीमती उपासना पटैल, प्रशांत विश्वकर्मा, अरविन्द त्रिपाठी, अशोक विश्वकर्मा, अंकित तिवारी, देवेन्द्र पटैल, स्वतंत्र पाठक, दीप्ती पचौरी उपस्थित रही। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय की छात्रा आकांक्षा नारोरिया, आभार प्रदर्शन ऐश्वर्या मेहरा ने किया।
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