भोपाल जिले के बैरसिया के घाटपुरा टोला, गाँव परसोरिया में किसान किशोरीलाल जाटव की हत्या के सम्बन्ध में फैक्ट फाइंडिंग टीम के मत में :
यह बात सही है भले ही इस मामले में शामिल बताये जा रहे आरोपियों की गिरफ्तारी हो गई है परन्तु कई महत्वपूर्ण सवाल अभी भी कायम हैं। पहली बात तो गवाहों की सुरक्षा से ताल्लुक रखती है। चूँकि आरोपी दबंग पृष्ठभूमि से आते हैं इसलिए गवाहों को प्रभावित किये जाने और उन्हें क्षति पहुँचाने की आशंका है। दूसरा सवाल न्यायिक प्रक्रिया के सुचारू संचालन को लेकर है। इस बात को सुनिश्चित किये जाने की आवश्यकता है कि लोक अभियोजन द्वारा प्रकरण की पैरवी व्यावसायिक दक्षता और पीडि़तों के पक्ष में संवेदनशीलता के साथ की जाये। तीसरा बिंदु हत्या की जड़ में मौदूद जमीन से सम्बंधित है। प्रशासन को इस बात की जिम्मेवारी लेनी चाहिए कि उक्त भूमि का कब्जा मृतक किशोरीलाल के परिवारजन को प्राप्त हो और बना भी रहे। चौथा मुद्दा पीडि़त परिवार को पर्याप्त मुआवजे का है। अभी जिला प्रशासन द्वारा मुआवजे के लिए प्रक्रिया आरम्भ की गई है परन्तु परिवार को अभी तक कोई राशि प्राप्त नहीं हुई है। प्रयास इस बात का भी किया जाना चाहिए कि पीडि़त परिवार के एक सदस्य को शासकीय नौकरी में लिया जाये।
समिति ने इस घटना के दूरगामी कारणों के बारे में भी विचार किया। मध्यप्रदेश के कई अंचलों में सामंतवाद और जातिगत अत्याचारों का बड़ा आतंक रहा है लेकिन यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद जाति के नाम पर भेदभाव और अत्याचारों में बेहद बढ़ोतरी हुई है। जाहिर है, सत्ता और सत्ताधारी पार्टी का खुला संरक्षण आपराधियों के हौसले बुलंद करता है। बात सिर्फ दलितों की नहीं है बल्कि समाज के तमाम वंचित तबकों- आदिवासियों. अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर भी अत्याचारों के मामले में मध्यप्रदेश का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। यह बात भी स्मरण रखने की है कि किशोरीलाल को जिन्दा जलाने वाला आरोपी तीरण यादव राज्य में सत्ताशीन भारतीय जनता पार्टी के पिछड़ा वर्ग मोर्चे का जिला महामंत्री है।
दूसरी बात जो इस मामले में याद रखने की है, वह यह कि मृतक किशोरीलाल जी को यह जमीन पूर्व शासनकाल के दौरान भूमिहीन दलितों को कृषि कार्य हेतु भूमि उपलब्ध कराने की योजना के अंतर्गत प्रदान की गई थी। उसी समय भाजपा ने कहा था कि कांग्रेस समाज में वर्ग संघर्ष पैदा कर रही है। जाहिर है, यह पार्टी भूमिहीन दलितों को जमीन उपलब्ध कराने के खिलाफ रही है. यह भाजपा के सामंती चरित्र को भी उजागर करता है। दलित एजेंडे के सम्बन्ध में यह बात भी विचारणीय है कि सरकारी मशीनरी के दलित विरोधी रवैये के कारण यह कार्यक्रम असफल हुआ और पूरे प्रदेश में दलितों पर आये दिन होने वाले अत्याचारों का कारण भी बना है।
हुआ यह है कि जिन शासकीय जमीनों के पट्टे दलित परिवारों को प्रदान किये गए थे उनमे से हजारों परिवारों को उस जमीन का कब्जा नहीं दिलाया गया क्योंकि उस पर पहले से ही गाँव के किसी दबंग का कब्जा था। दूसरी तरफ यह भी हुआ कि जो दलित परिवार शासकीय जमीन पर कब्जा कर खेती कर रहे थे, उनको उस जमीन का पट्टा ही नहीं दिया गया।
फैक्ट फाइंडिंग टीम में वाम दलों तथा अन्य संगठनों के रूपसिंह चौहान, पीवी रामचंद्रन, पूषन भट्टाचार्य, प्रह्लाद बैरागी, जेसी बरई, मुदित भटनागर, राखी रघुवंशी, ओपी डोंगरीवाल, तेजकुमार तिग्गा और सत्यम पाण्डेय शामिल थे।
(राखी रघुवंशी और सत्यम पाण्डेय)
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