पिता हमेशा अपने बच्चों के लिए विशेष होते हैं लेकिन कुछ के लिए वे प्रेरणा का एक निरंतर स्रोत होते हैं। कुछ पिता अपने बच्चों के जीवन का नेतृत्व कुछ इस तरह करते हैं की वह अपने बच्चों के हीरो बन जाते हैं।
मेरे पिता मेरे लिए आदर्श है। वे एक आदर्श पिता हैं। उनमें वे सारी योग्यताएं मौजूद हैं जो एक श्रेष्ठ पिता में होती हैं। वे मेरे लिए केवल एक पिता ही नहीं बल्कि मेरे सबसे अच्छे दोस्त भी हैं। एक ऐसा दोस्त जिससे मैं अपनी हर बात कह सकती हूँ, जो समय-समय पर मुझे अच्छी और बुरी बातों का आभास कराकर आगाह करते हैं।
मेरे बचपन से ही मेरे पिताजी ने मुझे हार न मानने और हमेशा आगे बढऩे की सीख देते हुए हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया है।
उन्होंने हमेशा मुझे और मेरी बहन, तुषारा, को आत्मनिर्भर होना सिखाया। मैंने अपने पापा से और उनके जीवन बहुत कुछ सिखा है। उनका जीवन शुरूवात से ही संघर्षों से भरा रहा पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी। धैर्य,अनुशासन और जी तोड़ मेहनत के साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और पत्रकारिता की दुनिया में अपना एक मुकाम हांसिल किया।
मुझे उनसे प्रेरणा मिलती है धैर्य की, संयम की, और अनुशासन की। जब भी मैं अपनी दोस्तों से उनके पिताजी के सख़्त स्वभाव के बारे मैं सुनती थी तो मुझे बहुत आश्चर्य होता था। मुझे याद नहीं आता की कभी मुझे या मेरी बहन को पापा से कभी डाँट या मार पड़ी हो। उन्होंने हमेशा हमारी गलतियों को बहुत सरलता से लिया और विनम्रता से हमें सही गलत का एहसास कराया और ग़लतियों की वजह से हमें कभी आगे बढऩे से नहीं रोका। उन्होंने हमेशा हमें अपने निर्णय खुद लेने के लिए प्रोत्साहित किया और कहा अगर तुम्हारा निर्णय सही होगा तो तुम्हें उसका फल मिलेगा और अगर गलत होगा तो सीख मिलेगी। यही कारण है की आज मैं और मेरी बहन आत्मनिर्भर हैं और हमें अपनी ङ्क्षजदगी के फैसले लेने के लिए किसी का सहारा नहीं चाहिए होता।
मेरे पापा का पत्रकारिता की दुनिया मैं एक ऊँचा नाम है, वो चाहते तो अपनी बेटियों को भी इसी क्षेत्र में अपना करीयर बनाने के लिए मजबूर कर सकते थे, जैसा कि आमतौर पे माता पिता करते हैं, पर उन्होंने ये निर्णय भी हम पर छोड़ा। हमें पूरी आजादी दी अपना करीयर और अपनी फील्ड चुनने की। उन्होंने हमेशा कहा की जो बनना है बनो, जिस क्षेत्र मैं जाना चाहते हो उसमें आगे बढ़ो। बस अपने ऊपर भरोसा रखो। आत्मविश्वास से आगे बढ़ो, मैं तुम्हारे साथ हूँ।
मेशा से उनका सिखाने का तारिका बहुत अलग रहा है। बजाय यह कहने के की यह सही है और ये गलत, उन्होंने अपने जीवन की गलतियों और सीखों को हमारे साथ साझा किया और हमें सही गलत की पहचान करना सिखाया। उनका बचपन बहुत कष्टों और अभावों में बीता था। उन्होंने अपने बचपन और जवानी के बहुत से किस्से हमें बताए। उनकी बातें सुनने के बाद हमें एहसास हुआ की हम जिस तरह की जीवन शैली जी रहे हैं ये कितनी बेहतर है और हमें इससे कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए।
‘पर हित सरस धर्म नहीं भाई’ में विश्वास रखने वाले मेरे पापा हमेशा दूसरों की मदद के लिए आगे रहे। मैं उनसे लड़ती भी थी की आप कैसे अपने आगे दूसरों को रख पाते हो? हमेशा मेरे सवालों को हँसी में टाल देते थे। उनके जीवन को गहराई से जानो तो समझ आता है के वो अपने लिए कभी जिए ही नहीं। कितने ही अच्छे अच्छे अवसरों को छोड़ दिया क्यूँकि परिवार से दूर नहीं जाना, हमेशा अपनी पत्नी और बच्चों के बारे में सोचना, अपनी कोई इच्छा कोई शौक़ नहीं होना हमेशा सोचती थी और आज भी सोचती हूँ की कैसे कर पाए पापा ये सब? आसान नहीं होता ये सब करना। सिर्फ दूसरों के लिए जीना। पापा आपके जैसा जीवन जीने के लिए एक दृढ़ इच्छाशक्ति चाहिए। ये हर किसी के बस की बात नहीं है।
कहते हैं एक लडक़ी अपने पति में अपने पिता को टटोलती है, वो अपने पति में अपने पिता जैसी अच्छाइयाँ ढूँढती है, क्यूँकि उसके पिता उसके हीरो होते हैं। एक बेटी और बाप का रिश्ता बहुत ही अनोखा होता है। बेटियाँ पापा की परियाँ होती हैं।
पापा हमेशा से मुझे रानी बेटी कहकर बुलाते रहे हैं। एक अलग ही सुकून मिलता है दिल को जब पापा रानि बेटी कहके बुलाते हैं। मैंने अपने जीवन कि हर कदम पर ये कोशिश की है की मैं सही मायनो में उनकी रानी बेटी बनके दिखाऊँ। जैसे वो मेरे लिए एक आदर्श पिता हैं ऐसे ही मैं भी उनके लिए एक आदर्श बेटी बनूँ। मेरी एक ही इच्छा है की हर जनम में मैं आपकी ही बेटी बनके जनम लूँ। आपके जैसा पिता पाना किस्मत की बात है और भगवान मुझे हर जनम में ऐसी ही कि स्मत दे।
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