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कोविड -19 की चुनौती - केरल कैसे मुकाबला कर रहा है !

25 जनवरी को इस बीमारी का मुकाबला करने के लिए जरूरी कदमों के संबंध में स्वास्थ्य अधिकारियों और स्थानीय स्वशासी संस्थाओं के लिए, आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए। 28 जनवरी तक, जिलों में भी नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जा चुके थे।

 
कोरोना से जंग-सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के संग

पिछले साल दिसंबर के उत्तराद्र्घ में ही इसकी पहचान हो पायी थी कि चीन के हूबेई प्रांत के वूहान शहर में फैल रही बीमारी, नोवल कोराना वाइरस, सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण से फैल रही थी। उसके करीब तीन महीने बाद, अब तक इस कोरोना वाइरस की बीमारी, कोविड-19, दुनिया भर में 195 देशों तथा इलाकों को अपनी चपेट में ले चुकी है। संक्षेप में कहें तो पूरी दुनिया ही इस महामारी की चपेट में आ चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि महामारी तेजी पकड़ रही हैज्। जहां इस बीमारी की चपेट में आए लोगों की संख्या पहले एक लाख तक पहुंचने में 65 दिन लगे थे, इसमें अगले एक लाख की बढ़ोतरी होने में सिर्फ 11 दिन लगे और इसके बाद, यह संख्या तीन लाख तक पहुंचने में तो सिर्फ 4 ही दिन लगे।
पहले से तैयारियां
18 से 22 जनवरी के बीच ही केरल सरकार, राज्य के सभी 14 जिलों के साथ, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और भारत सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों व मार्गदर्शनों को, साझा कर चुकी थी। राज्य स्तर के त्वरित कार्रवाई बल की बैठक की गयी और उसमें इस बीमारी पर निगाह रखने, लैबोरेटरियों, उपचार तथा प्रशिक्षण के संबंध में दिशा-निर्देश तय किए गए और उनका भी जिलों से फौरन साझा किया गया। इस तरह, जिला स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पहले ही तैयार कर दिया गया। आगे चलकर, चीन से आने वाले सभी यात्रियों की कोच्चि हवाई अड्डो  पर स्क्रीनिंग शुरू कर दी गयी। पैरीफिरल स्वास्थ्य टीमों को, चीन से आए सभी यात्रियों की स्थिति पर सख्ती से निगाह रखने के लिए सन्नद्घ किया गया। जिला इंटीग्रेटेड डिसीज़ सर्वेलेंस प्रोग्राम के प्रकोष्ठो  ने चीन से आने वालों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाना व उन पर निगाह रखना तथा सभी संबद्घ केसों को सूचीबद्घ करना शुरू कर दिया।

जैसे-जैसे यह बीमारी दुनिया भर में और फैली और दूसरे देशों से केरल में लौटने वाले लोगों की संख्या बढऩे लगी, केरल में कोविड-19 के संक्रमितों के मिलने की संभावनाओं के प्रति गंभीरता बढ़ गयी। सभी जिला चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि मैडीकल कालेजों, जनरल अस्पतालों, जिला अस्पतालों तथा अपने जिले के बड़े निजी अस्पतालों में भी, मरीजों के लिए आइसोलेशन की सुविधाएं तैयार रखें। अस्पतालों में आइसोलेशन तथा घरों में क्वेरेंटीन में रखने के लिए जरूरी कदमों के संबंध में निर्देश भी जारी कर दिए गए। 24 जनवरी को ही डाइरेक्टरेट ऑफ हैल्थ सर्विसेज़ में एक नियंत्रण कक्ष कायम कर दिया गया। 25 जनवरी को इस बीमारी का मुकाबला करने के लिए जरूरी कदमों के संबंध में स्वास्थ्य अधिकारियों और स्थानीय स्वशासी संस्थाओं के लिए, आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए। 28 जनवरी तक, जिलों में भी नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जा चुके थे।

शुरूआती केस
30 जनवरी को स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने केरल में कोविड-19 का पहला केस मिलने की पुष्टिï की। रोगी वूहान से लौटा एक छात्र था और त्रिशूर के जनरल अस्पताल में पहले ही आइसोलेशन में उसका इलाज चल रहा था। बाद में क्रमश: 2 तथा 3 फरवरी को, दूसरे तथा तीसरे केसों की पुष्टिï हुई। ये भी वूहान से लौटे छात्र ही थे। फौरन " राज्य आपदा" की घोषणा कर दी गयी और आपातकालीन कदम शुरू कर दिए गए। इस शुरूआती दौर मेें ही स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव तथा स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक ने बैठक की, जिसमें आवश्यक आपात कदमों पर फैसले लिए गए। राज्य तथा जिला स्तर की रैपिड रिस्पांस टीमों की बैठकें आयोजित की गयीं। 1 फरवरी को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की अलप्पुझा यूनिट को नमूनों की जांच के लिए तैयार किया जा चुका था। राज्य तथा जिला स्तर पर नियंत्रण कक्षों ने दिन-रात काम करना शुरू कर दिया। हरेक जिले में कम से कम दो ऐसे अस्पताल तैयार कर लिए गए, जहां ऐसे मरीजों को संभाला जाना था, जो इस रोग के लक्षण प्रदर्शित कर रहे थे और जिनको आइसोलेशन में रखकर उपचार दिया जाना था। चूंकि हमने पहले से तैयारी कर ली थी, केरल शुरूआती केसों से बीमारी को और फैलने में रोकने में सफल रहा। सभी शुरूआती मरीज, उपचार के बाद स्वस्थ्य हो गये और फरवरी के तीसरे सप्ताह तक उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी मिल चुकी थी।

अतिरिक्त कदम
  सभी सिनेमा हॉलों में कोविड-19 के संबंध में जागरूक करने वाले वीडियो प्रदर्शित किए गए। टेलीविजन पर और रेडियो के एफएम चैनलों पर इस संबंध में जानकारियों का प्रसारण किया गया। सोशल मीडिया पर भी जागरूकता अभियान चलाया गया। दूसरी ओर, सोशल मीडिया पर फेक न्यूज फैलाने वालों को दंडित करने के लिए भी कदम उठाए गए। स्वास्थ्य विभाग ने स्मार्ट क्लास रूम के माध्यम से 40 लाख स्कूली बच्चों को इसके संंबंध में जागरूक किया। उधर, हवाई अड्डो  और बंदरगाहों पर कड़ी जांच की व्यवस्था कायम की गयी। इटली तथा ईरान में इस बीमारी के फैलने के साथ, जांच और भी कड़ी कर दी गयी। चीन, हांगकांग, थाइलैंड, सिंगापुर, जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, नेपाल, इंडोनेशिया, मलेशिया और ईरान से आने वालों के लिए और इन देशों की यात्रा कर चुके लोगों के लिए, घर पर 14 दिन का क्वेरेंटीन 10 फरवरी से अनिवार्य कर दिया गया।

अन्य राज्यों में भी नये केस सामने आने की पृष्ठïभूमि में, कैबिनेट सचिव ने सभी राज्यों की एक वीडियो कान्फ्रेंस की थी। उन्होंने केरल के स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों की सराहना की और राज्य के मुख्य सचिव से इस संबंध में प्रस्तुति देने के लिए कहा। अन्य राज्यों को निर्देश दिया गया कि केरल द्वारा विकसित किए गए स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर का अनुसरण करें। केरल से आग्रह किया गया कि इस वाइरस का मुकाबले करने के प्रयासों में, अन्य राज्यों की भी मदद करे।

बाद में आए केस और उठाए गए कदम
केरल बड़ी तादाद में प्रवासियों का घर है और इसलिए यहां दुनिया भर से मलयालियों की आवाजाही का सिलसिला लगा ही रहता है। इसके अलावा यह राज्य एक लोकप्रिय पर्यटक गंतव्य भी है और यहां बड़ी संख्या में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक भी आते हैं। इस राज्य में 8 मार्च के बाद से मौजूदा चक्र में जो केस सामने आए हैं, मुख्यत: ऐसे लोगों के हैं जो दूसरे देशों से और खासतौर पर योरप तथा खाड़ी क्षेत्र से आए हैं। इसके अलावा कुछ उदाहरण ऐसे लोगों के संक्रमित होने के भी हैं, जो ऐसे बाहर से आए लोगों के संपर्क के चलते संक्रमित हुए थे। इन प्राइमरी तथा सैकेंडरी केसों के अलावा, हम यह सुनिश्चित करने की अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं कि राज्य में कोई टर्टियरी संक्रमण के केस तो नहीं हैं।

24 मार्च तक, केरल में कोविड-19 के कुल 109 केसों का पता चला है। इनमें से 4 ठीक हो चुके हैं और उन्हें वापस भेजा जा चुका है, जबकि अन्य 105 का राज्य के विभिन्न अस्पतालों में उपचार चल रहा है। कुल 72,460 लोगों पर नजर रखी जा रही है, जिनमें से 466 को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी है। राज्य में 4,516 लोगों के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं और 3,331 की रिपोर्ट नकारात्मक आयी है। राज्य में कोरोना के पॉजिटिव केसों की संख्या लगातार बढऩे को देखते हुए, हमने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं कि केरल में यह संक्रमण, समुदाय के बीच नहीं पैठ सके।

इसके साथ ही हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि किसी भी स्थिति को संभालने के लिए, जिसमें आपात स्थितियां भी शामिल हैं, अतिरिक्त सुविधाएं तैयार की जाएं। स्वास्थ्य विभाग ने 276 डाक्टरों की आपात भर्ती की है, ताकि महामारी को संभालने के लिए पर्याप्त मानव संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। जरूरत के अनुसार, अन्य पैरा-मैडीकल स्टॉफ की भी नियुक्ति की जाएगी। ऐसी सभी नियुक्तियां पहले से मौजूद प्रांतीय सेवा आयोग की सूचियों से ही की जा रही हैं। ऐसी इमारतों की पहचान कर ली गयी है, जिनसे जरूरत पडऩे पर आइसोलेशन वार्डों के रूप में काम लिया जाएगा। इन इमारतों को सेनीटाइज किया गया है और ये इमारतें अपनी इस संभावित भूमिका के लिए तैयार हैं। इसमें युवाओं तथा वालंटियरी संगठनों की मदद मिल रही है।

केरल राज्य ड्रग्स एंड फर्मास्युटिकल्स लि0 तथा केरल स्टेट इंडस्ट्रिीयल डैवलपमेंट कार्पोरेशन जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों ने, आवश्यक दवाओं तथा सैनीटाइजरों व मॉस्क आदि जरूरी चीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में भी अगुआई की है। इस काम में केरल की जेलों के कैदियों ने भी अपना योगदान किया है। अनेक रेजीडेंट्स वैल्फेयर एसोसिएशनों, वालेंटरी संगठनों तथा राजनीतिक संगठनों ने भी अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के तौर पर, सैनीटाजर व मास्क बनाने तथा वितरित कराने में योगदान दिया है।

अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसियों तथा विशेषज्ञों की सलाह है कि लोग एक-दूसरे से सुरक्षित दूरी बनाए रखें और निजी साफ-सफाई सुनिश्चित करें, तो नोवल कोरोना वाइरस के फैलाव पर अंकुश लगाया जा सकता है। राज्य में च्च्ब्रेक द चेनज्ज् का अभियान छेड़ा गया है ताकि आम लोगों के बीच इसकी जागरूरता पैदा की जा सके कि साबुन से बार-बार हाथ धोएं और सैनीटाइजर का प्रयोग करें। सरकारी दफ्तरों, सार्वजनिक दफ्तरों, स्थानीय स्वशासी निकायों, निजी उद्यमों, नामचीन हस्तियों आदि, आदि ने इस अभियान में हिस्सा लिया है और इस अभियान को जबर्दस्त तरीके से कामयाब बनाया है। इस क्रम में नवोन्मेषी तरीकों से, जिसमें सोशल मीडिया का रचनात्मक उपयोग भी शामिल है, जागरूकता पैदा की गयी है।

लॉक डॉउन मोड में
लोगों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखना, लोगों की आवाजाही तथा उनके मिलने-जुलने पर कुछ अंकुश लगाने के जरिए ही सुनिश्चित किया जा सकता है। इसे सुनिश्चित करने के लिए, पूरे राज्य को अब लॉक  डॉउन कर दिया गया है। स्कूलों-कालेजों को बंद कर दिया गया है। परीक्षाओं को टाल दिया गया है। सिनेमा हॉल अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए हैं। लोगों को यात्रा नहीं करने की सलाह दी गयी हैै। समागमों तथा धार्मिक समारोहों पर रोक लगा दी गयी है। सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं को रोक दिया गया है। और राज्य की सीमाओं को बंद कर दिया गया है। दूसरी ओर आपात सेवाओं, अस्पतालों तथा दवा की दूकानों में एकदम सामान्य तरीके से काम चल रहा है। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले स्टोरों को एक निश्चित समय तक ही खुलने दिया जा रहा है। रेस्टोरेंटों को टेक अवे तथा डिलीवरी की सेवाएं चलाने की इजाजत दी जा रही है। हम खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार सुनिश्चित कर रहे हैं और राज्य की सीमाओं से मालों की आपूर्ति होने दे रहे हैं ताकि राज्य में भोजन की आपूर्ति को भी सुगम बनाया जा सके। सरकारी कार्मिकों को चरणबद्घ तरीके से तैनात करने के जरिए, सरकार के दफ्तरों में काम-काज का चलता रहना सुनिश्चित किया जा रहा है।

कोविड-19 पैकेज
अब जबकि लोगों की आवाजाही पर तथा उनके मिलने-जुलने पर अंकुश लगा दिए गए हैं, इसका असर सामाजिक तथा आर्थिक जीवन पर हो रहा है। इस सचाई को अच्छी तरह से पहचानते हुए और लॉक डॉउन लागू करने से काफी पहले, 18 मार्च को ही, केरल सरकार ने आने वाले संकट से उबरने के लिए, 20,000 करोड़ रु0 के एक पैकेज का एलान कर दिया था। इस पैकेज में 1,320 करोड़ रु0 कल्याणकारी पेंशनों का अग्रिम भुगतान करने के लिए ही रखे गए हैं। दो महीने की पेंशनें, मार्च के महीने में ही दे दी जाएंगी। इसके अलावा, कल्याणकारी पेंशनों का लाभ न पाने वाले परिवारों को, प्रति परिवार 1000 रु0 की सहायता देने के लिए, 100 करोड़ रु0 रखे गए हैं। इसके अलावा, अगले दो महीनों में कुटुंबश्री योजना के जरिए 2,000 करोड़ रु0 के ऋण बांटे जाएंगे। और 2,000 करोड़ रु0 का ही खर्च कर, अप्रैल तथा मई के महीनों में, रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत लोगों को काम मुहैया कराया जाएगा।

इसके अलावा कोविड-19 संबंधी चिकित्सकीय देख-भाल के लिए, सार्वजनिक स्वास्थ्य पर किए जाने वाले अतिरिक्त खर्चों के लिए 5,00 करोड़ रु0 रखे गए हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए हकदार परिवारों के बीच 100 करोड़ रु0 का अनाज बांटा जाएगा। 50 करोड़ रु0 खर्च कर, च्भूख मुक्त केरलज् परियोजना के हिस्से के तौर पर, सिर्फ  20 रु0 में खाना मुहैया कराया जाएगा। इसे संभव बनाने के लिए अप्रैल में ही 1000 भोजन स्टॉल खोले जाएंगे। राज्य के बजट में यह एलान किया गया था कि सितंबर में ये स्टॉल चालू किए जाएंगे, जो 25 रु0 में भोजन मुहैया कराएंगे। 14,000 करोड़ रु0 का उपयोग कर राज्य सरकार पर विभिन्न संस्थाओं व व्यक्तियों के बकाया भुगतानों को चुकता कर दिया जाएगा। इस तरह, आपातकालीन आधार पर राज्य की अर्थव्यवस्था में कुल 20,000 करोड़ डाले जाएंगे।

इसके अलावा ऑटोरिक्शों तथा टैक्सियों के लिए फिटनेस फीस में ढील दी गयी है। स्टेज कैरिएजों तथा कांट्रैक्ट कैरिएजों पर लगने वाले तिमाही कर में, एक महीने की छूट दी जा रही है। इस तरह, 23.60 करोड़ रु0 की रियायतें दी जा रही हैं। बिजली और पानी के बिलों के भुगतान में एक महीने तक की देरी पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा। सिनेमा हॉलों का आयकर भी एक महीने के लिए माफ कर दिया गया है। अर्थव्यवस्था में आपात-आधार पर तरलता डाले जाने के अलावा मौजूदा संकट से उबरने में मदद करने के लिए, लोगों को तमाम ढीलें दी जा रही हैं।

इस दौर में आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए, व्यापारियों तथा करोबारियों के संगठनों से वार्ताएं की गयी हैं। इस लॉक डॉउन के दौरान सभी परिवारों तक आवश्यक वस्तुओं की, जिनमें सब्जियां तथा दालें भी शामिल हैं, आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए, ऑनलाइन सुविधाएं कायम की जा रही हैं। जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए संगठनों से स्वैच्छिक सेवाएं ली जा रही हैं। क्वेरेंटीन में रह रहे लोगों को, प्रकाशकों की मदद से पढऩे के लिए किताबें मुहैया करायी जा रही हैं। डिजिटल नैटवर्क सेवा-प्रदाताओं से बातचीत कर, राज्य में पर्याप्त नैटवर्क बैंडविड्ïथ मुहैया करायी जा रही है, ताकि घर पर रहते हुए लोगों को संचार व मनोरंजन के पर्याप्त साधन उपलब्ध हों।

राज्य स्तर पर बैंकर्स कमेटी के साथ एक बैठक की गयी है, ताकि उन्हें इसके लिए राजी किया जा सके कि आर्थिक उलट-पुलट के इस दौर मेें बकाया उगाही की कार्रवाइयां नहीं करें और ऋणों की अदायगी तथा ब्याज के भुगतानों में छूट दें। केरल हाई कोर्ट तक ने इस संबंध में एक अनुकूल निर्णय सुनाया है। लेकिन, केंद्र सरकार के आग्रह पर, सुप्रीम कोर्ट ने उक्त निर्णय पर स्थगनादेश जारी कर दिया है। लॉक डॉउन को लागू करते हुए भी हम, प्राणों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठा रहे हैं। जीवन को चलाए रखने के लिए, स्वास्थ्य और आर्थिक गतिविधि, दोनों की जरूरत होती है। केरल सरकार इस चुनौतीपूर्ण दौर में, दोनों ही सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम करती रही है। हमने सिर्फ लोगों से घर पर ही रहने के लिए कहा ही नहीं है, हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि घर पर रहते हुए लोग अपनी गुजर-बसर कर सकें।

केंद्र सरकार के सामने उठाए गए मुद्दे
चीन और दक्षिण कोरिया के अनुभव और विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देश बताते हैं कि इस सब के साथ ही बड़े पैमाने पर टैस्टिंग भी की जानी चाहिए, ताकि वाइरस को पकड़ा जा सके तथा संक्रमित लोगों का उपचार किया जा सके, जिससे संक्रमण को और फैलने से रोका जा सके। तदानुसार, केरल ने बड़े पैमाने पर टैस्टिंग का सहारा लिया है। फिर भी, राज्य सरकार कितना कर सकती है, इसकी गंभीर सीमाएं हैं। जब तक देश भर में बड़े पैमाने पर इस संक्रमण की टैस्टिंग नहीं होगी, हम इस वाइरस के फैलाव का तथा उसने किस हद तक बीमारी को फैला दिया है इसका, सही-सही अंदाजा ही नहीं लगा पाएंगे। इस संबंध में कोई भी गलती देश को गंभीर स्वास्थ्य इमर्जेंसी में धकेल सकती है। इसलिए, हमने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि इस संक्रमण के टैस्ट करने के लिए और ज्यादा केंद्रों की इजाजत दी जाए।

सार्व-सीओवी-2 और कोविड-19 से लडऩे के पूरे दौर में, हमने अनेक सीमाओं को पहचाना है, तो बहुत कुछ नया सीखा भी है। हमने प्रधानमंत्री को, स्वास्थ्य मंत्री को, वित्त मंत्री को, विदेश मंत्री आदि को भेजे गए पत्र के जरिए, केंद्र सरकार के साथ इन अनुभवों को साझा करने की कोशिश की है। इन अनुभवों का एक केंद्रीय पहलू यह है कि राज्य सरकारों के सीमित संसाधनों से, ऐसी विकराल महामारी का सामना करना, एक ऐसा भारी बोझ है जिसे उठाकर नहीं चला जा सकता है। राज्यों के लिए और ज्यादा संसाधनों का आवंटन किए बिना, इस लड़ाई को निर्णायक तरीके से नहीं जीता जा सकता है। इसलिए, राज्यों के लिए ऋण की सीमा बढ़ायी जानी चाहिए, ब्याज की दरें घटायी जानी चाहिए, अग्रिम ऋण लेने की इजाजत दी जानी चाहिए। मनरेगा के अंतर्गत काम की दिनों की संख्या बढ़ाने तथा मजदूरी बढ़ाने की इजाजत दी जानी चाहिए। दवाओं तथा मास्क व सैनीटाइजर जैसी आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन के लिए, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का उपयोग किया जाना चाहिए। टैस्टिंग करने वाली सुविधाएं बढ़ायी जानी चाहिए। और ज्यादा चिकित्सकीय उपकरण मुहैया कराए जाने चाहिए। आपदा राहत कोष के उपयोग में लचीलापन होना चाहिए। ये कुछ कदम हैं जो केंद्र सरकार को प्राथमिकता देकर उठाने चाहिए।

शारीरिक दूरी सामाजिक एकता
जहां तक केरल का सवाल है, वाइरसों तथा छूत की बीमारियों के बार-बार के हमलों ने, हमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था के जीवट को बढ़ा दिया है। इससे हमें, अपनी कमजोरियों को समझने में और उनके उपचार के लिए कदम उठाने में मदद मिली है। कोविड-19 का मुकाबला करने का दुनिया भर का अनुभव, एक तंदुरुस्त सार्वजनिक स्वास्थ्य रक्षा व्यवस्था की अनिवार्यता को रेखांकित करता है। यह बात दर्ज करने वाली है कि आद्र्रम मिशन के जरिए हमने इस मामले में जो क्षमता खड़ी की है, उसने इस वक्त पर हमारी बहुत मदद की है। 
हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि इस संकट पर पार पाने के लिए, हमारा समाज एक होकर आगे बढ़े। कोविड-19 से निपटने में हमारा आदर्श सूत्र रहा है: "शारीरिक दूरी, सामाजिक एकता"। समाज को एकजुट रखने के लिए हम हर मोड़ पर उसे प्रैस से मुलाकातों तथा सरकारी चैनलों से दिए जाने वाले संवादों के जरिए, पूरी तरह से सूचित रख रहे हैं। प्रामाणिक व वैज्ञानिक जानकारियां साझा करने के लिए और फेक न्यूज तथा अफवाहों की काट करने के लिए, सामाजिक मीडिया का पुरअसर तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। जनता को राहत पहुंचाने के लिए, सरकारी मशीनरी का उपयोग किया जा रहा है।

आज हम एक असाधारण चुनौती का सामना कर रहे हैं। हमने अपनी व्यवस्थाओं को, अपनी वचनबद्घता को, दूसरे इंसानों के प्रति अपने प्यार को आपस गूंथकर, आगे बढऩे के लिए ताकत जुटायी है। हस महामारी ने अनेक विकसित देशों तक को ठप्प कर दिया है। केरल, इस वाइरस के फैलाव को रोकने के लिए कड़ा संघर्ष कर रहा है। इस वाइरस को रोकने के लिए, हम मिलकर काम कर रहे हैं। केरल की एलडीएफ सरकार, आगे-आगे रहकर इस लड़ाई को नेतृत्व मुहैया करा रही है। 
पिनरायी विजयन, लेखक- केरल के मुख्यमंत्री है।   

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