कामरेड पी के मूर्ती के देहांत से भारत के क्रांतिकारी कम्युनिस्ट आंदोलन, मजदूर वर्ग खासकर कोयला मजदूरों ने अपना एक वरिष्ठ नेता खो दिया है। एक ऐसा महान नेता खो दिया जिसने सारी तकलीफें उठाते हुए पूरी बहादुरी के साथ उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ी।
कामरेड मूर्ती एक सच्चे अंतर्राष्ट्रीयतावादी थे। भारत और फ्रांस में उनके योगदान इस बात का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
मेरी उनसे आखिरी मुलाकात 2-5 फरवरी 2017 को गोदावरी खनि तेलंगाना में इंटरनेशनल माइनिंग वर्कर्स की दूसरी कांफ्रेंस में हुयी थी जिसमे 8 देशों के खदान मजदूरों ने भाग लिया था। हमने इंटरनेशनल और दूसरे क्रांतिकारी गीत मिलकर गाये थे।
अद्भुत कामरेड के बारे में कुछ और बातें साझा करना जरूरी है। वे एक लम्बे समय छिंदवाड़ा की कोयला खदानों में मजदूर आंदोलन का नेतृत्व करते रहे, वहां कमल नाथ के परिवार का गुंडई राज था। फरीदाबाद के औद्योगिक क्षेत्र के तरह वहां भी हम ने पाया की मालिकों के गुंडे सफेद एम्बुलेंस में घूमते थे, इन का काम सक्रिय कार्यकर्ताओं को अगवा करना, पीटना और कुचलना होता था। इन हालात में कामरेड मूर्ती इस क्षेत्र में मजदूर आंदोलन खड़ा करने का प्रयास कर रहे थे जिस में वे सफल भी हुए। कामरेड मूर्ती ने नवउदारवाद और निजीकरण के खिलाफ मजदूरों की चेतना को भी जाग्रत किया।
मुझे निशांत की मंडली के साथ छिंदवाड़ा की कोयला खदानों के मजदूरों की बस्तियों में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां करने का मौका मिला, वे एक आम मजदूर की जिंदगी जीते थे। वहां बड़े शहर से गए हम जैसे कलाकारों को मजदूरों की तरह रहने-सहने की ट्रेनिंग मिलती थी। उन्हों ने साथ गाने ही नहीं बल्कि निशांत के नाटकों में विभिन्न भूमिकाएं भी निभाईं। अडवाणी की 'रथ यात्रा' जब देश के विभिन्न इलाकों में खून की नदियां बहाती चल रही थी तो इस के विरोध में मजदूर बस्तियों और खदानों के बाहर साम्प्रदायिकता विरोधी सांस्कृतिक अभियान चलाया जिस में निशांत के साथियों ने हिस्सेदारी की। इस तरह उनके साथ काम करने का गौरव प्राप्त हुआ।
वे इंकलाबी मजदूर आंदोलन में वयस्त रहने के बावजूद खुद को वैचारिक और सैद्धांतिक तौर पर लैस करने के लिए किताबों के लगातार खोज करते, वे मालिकों के संगठनों से वार्ता में मजदूरों का पक्ष रखने में बेमिसाल थे। वे वामपंथी राजनैतिक दलों के बीच विभाजन के परिणाम स्वरूप मज़दूर आंदोलन या अन्य जन आंदोलनों के बॅटवारे का विरोध करते थे।
वे लाजवाब और बेमिसाल खाना बनाते थे, खाने में वियतनामी, फ्रांसिसी, दक्षिण भारतीय जायकों का मिश्रण होता था। वे जब भी दिल्ली आते आम तौर पर हमारे साथ ही रहते। हमारी बिटिया, शीरीं को उनका बनाया अण्डों का ऑमलेट बहुत पसंद था, मेरा मानना है उनसे ज़्यादा लजीज ऑमलेट कोई नहीं बना सकता। यह एक मुग़लई तंदूरी रोटी की तरह फूला हुआ स्पन्जी होता था।
मूल रूप से भारत के तमिल क्षेत्र से सम्बंधित, वियतनाम में जन्मे, फ़्रांस में शिक्षित और वहां वियतनाम युद्ध विरोधी आंदोलन में हिस्सेदारी और नेतृत्व और फिर भारत में कोयला खदान मज़दूरों को संगठित करना और उनका नेतृत्व, कामरेड मूर्ती को अन्तर्राष्ट्रवाद और दुनिया के मज़दूरों एक हो का जीता-जगता प्रतीक बना देता है।
प्यारे कामरेड मूर्ती आप की अंतिम यात्रा में निशांत के साथी शामिल न हो सके, आप को अंतिम लाल सलाम न कह सके, आप की याद में 'लाल झंडा लेकर कामरेड आगे बढ़ते जायेंगे' नहीं गा सके, जीवन भर इस का मलाल रहेगा। लाल सलाम कामरेड मूर्ति!
शम्सुल इस्लाम
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