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नेपाल में एक बार फिर हुआ लाल सूरज का उदय

नेपाल में हुए संसदीय व प्रांतीय स्तर के चुनाव में यूएमएल ओर माओवादी वाम गठबंधन निर्णायक जीत की ओर बढ़ रहा है।

उपेन्द्र यादव


नेपाल में यूएमएल और माओवादी वाम गठबंधन की जबरजस्त जीत
 काठमांडू। नेपाल में हुए संसदीय व प्रांतीय स्तर के चुनाव में यूएमएल ओर माओवादी वाम गठबंधन निर्णायक जीत की ओर बढ़ रहा है।


शनिवार की सुबह तक यूएमएल और माओवादी 28 सीटें जीत चुके हैं और 77 सीटों में आगे चल रहे हैं - फर्स्ट अतीत द पोस्ट (एफपीटीपी) प्रणाली के तहत 165 संसदीय सीटों में से लगभग दो तिहाई हैं।
 इससे साफ है कि कम्युनिस्ट न केवल अगले पांच वर्षों तक नेपाल पर शासन करेंगे, लेकिन संविधान के किसी भी क़ानून में संशोधन कर सकते हैं।

यूएमएल अकेले पहले से ही 23 सीटें जीत चुकी है और 49 सीटों पर आगे बढ़ रही है। माओवादियों ने 5 सीटें जीती हैं और 27 सीटों पर आगे बढ़ रहे हैं। ये प्रारंभिक परिणाम बताते हैं कि वे पीआर मतों की भारी संख्या भी जीतेंगे।
सत्ताधारी नेपाली कांग्रेस अभी तक सिर्फ 4 सीटें जीती है और 20 सीटों में आगे बढ़ रही है - दलों के संयुक्त प्रदर्शन से थोड़ा बेहतर है। संघीय सोशलिस्ट फोरम नेपाल और राष्ट्रीय जनता दल नेपाल क्रमश: 9 और 8 सीटों पर आगे है।

जबकि अधिकांश नेपाल कांग्रेस उम्मीदवार पहाडिय़ों में वाम गठबंधन उम्मीदवारों के हाथों बुरी तरह हारते नजर आ रहे है। प्रांतीय विधानसभाओं के चुनावों में भी वाम गठबंधन बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। कम्युनिस्टों का उदय और नेकां के पतन का मतलब है कि लोगों ने राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक समृद्धि के लिए मतदान किया है -यूएमएल-माओवाद चुनाव से पहले बना है गठबंधन है जिसे जनता से स्वीकार किया। नेपाली कांग्रेस के दुष्प्रचार पर जनता ने ध्यान नहीं दिया जिसका नतीजा है कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत खराब रहा।


कांग्रेस का खराब प्रदर्शन नाकेबंदी के समय सरकार की लचर नीति रहा है। दूसरी तरफ, वाम एलायंस को समझ में आया कि कई दशक से अशांत संक्रमण के बाद लोग क्या चाहते थे। यूएमएल प्रमुख केपी ओली की राष्ट्रवादी छवि ने भी उनके पक्ष में काम किया। सबसे महत्वपूर्ण बात, यूएमएल की पार्टी संगठन ने एनसी की तुलना में काफी मजबूत था और जब माओवादियों के साथ गठबंधन किया तो यह काफी मजबूत हो गया।


कई एनसी दिग्गजों ने पहले ही हार मान ली है। यह वाम गठबंधन की जीत की कहानी ही बयां करती है। बुरी तरह हार के संकेत मिलते ही कांग्रेस के अंदर बयानबाजी शुरू हो गई। कई नेताओं ने पार्टी प्रमुख पर मनमानी का आरोप लगाया है।


दूसरी ओर, यूएमएल प्रमुख केपी ओली एक विशाल अंतर से जीत रही है। तो माधव नेपाल, झलानाथ ख़ानल, सुभाष नेम्बांग और योगेश भट्टाराई हैं। माओवादी नेताओं पुष्पा कमल दाहल, अन्य नेता भी बड़े अंतर से जीत रहे है।

समर्थक हिंदू, शाही आरपीपी के खराब प्रदर्शन का मतलब है कि लोग धर्म के साथ राजनीति का घालमेल करने के विचार के खिलाफ हैं। राजनीतिक सुधारों का वादा करने वाली एक अन्य पार्टी ने एक सीट नहीं जीती है।

(फोटो  साभार - गूगल)


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उपेन्द्र यादव

Journalist at Lokjatan...

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