लेखक - देश के जाने माने साहित्यकार और जनवादी लेखक संघ मध्यप्रदेश के राज्य महासचिव है
नारीवादी विचार सामने आते गयें। जो, स्त्री को 'वस्तु', भोग्या या दोयम नागरिक मानने से इंकार करने लगे।
Read Moreभारतीयता के मायने बदल दिये गये हैं। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ जैसे उदात्त मूल्य को भी नष्ट कर दिया गया है। समाज में भले लोग अन्याय का शिकार हो रहे हैं।
Read Moreअंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में। प्रगति-मैदान जाने का भी वह पहला मौका था। वास्तुकार चाल्र्स कोरिया की रचित त्रिकोणीय भवनों और किताबों के जखीरे को देख अभिभूत था
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