मध्यप्रदेश की एकल कैबिनेट ने बजाय खुद जाकर खरीदने के व्यापारियों को गाँव गाँव जाकर किसानो की फसल खरीदने की छूट दे दी है।
इसका नतीजा यह कि सरसों जिसका घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 4450 रुपये प्रति क्विंटल है 3600 से 3800 रूपये प्रति क्विंटल खरीदी जा रही है और गेंहू जिसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 रूपये है उसे 1600 से 1650 रुपये लिया जा रहा है।
इस तरह व्यापारियों को लूट की खुली छूट देने के सिवाय इस आदेश की मंशा और कुछ नहीं है।
किसानो को अतिरिक्त नुकसान यह होने वाला है कि उन्हें बोनस की राशि से भी वंचित होना पडेगा - क्योंकि निजी बिक्री पर उन्हें वह भी नहीं मिलेगा।
गौरतलब बात है कि वर्तमान मुख्यमंत्री ने कुछ ही समय पहले दावा किया था कि यदि वे मुख्यमंत्री होते तो खेत की मिट्टी को भी 2100 रुपये क्विंटल बिकवा देते।
मध्यप्रदेश किसान सभा के अध्यक्ष रामनारायण क़ुरारिया, उपाध्यक्ष अशोक तिवारी ने तत्काल इस आदेश को वापस लेकर मंडियों, सोसायटियों के जरिये गाँव गाँव जाकर खरीद करवाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि जहां बहुत ही असाधारण परिस्थिति के चलते ऐसा करना मुश्किल हो वहां के लिए साफ़ प्रावधान किये जाएँ कि जो व्यापारी न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर खरीदेगा उसका लाइसेंस निरस्त कर जेल भेजा जाएगा। इसी के साथ नकद भुगतान भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
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