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महिला आंदोलन की चुनौतियों का सामना करने नये संकल्पों के साथ सम्मेलन सम्पन्न 

देश व प्रदेश में महिलाओं की बदतर स्थिति के लिए सरकारें भी जिम्मेदार होती हैं।

मध्यप्रदेश जनवादी महिला समिति का यह राज्य सम्मेलन 16 से 18 जुलाई 2019 को मुरैना शहर के कान्हा रिसोर्ट के परिसर जिसे दिवंगत राज्य कोषाध्यक्ष लीला श्रीवास्तव नगर का नाम दिया गया था में संपन्न हुआ। सम्मेलन के मंच का नाम शांति पटेल रखा गया था जो ग्वालियर की जनवादी महिला समिति की संस्थापक सदस्यों में से एक जुझारू महिला नेत्री थीं। 

मुरैनासम्मेलन का संचालन तीन सदस्यीय अध्यक्ष मण्डल ने किया जिसमें विद्या खंगार, संध्या शैली तथा संतोष प्रजापति शामिल थीं। सम्मेलन में मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से आयी 106 प्रतिनिधि भाग ले रहीं थीं।
जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय महासचिव मरियम ढवले सम्मेलन के तीनों दिन उपस्थित रहीं। 

सम्मेलन की शुरूआत में प्रदेश अध्यक्ष नीना शर्मा ने संगठन का झंडा फहराया और बाद में सभी अतिथियों और प्रतिनिधियों ने शहीद वेदी पर फूल चढ़ाकर पिछले 3 वर्षों में दिवंगत हुई महिला नेत्रियों को श्रद्धांजलि दी। 
इसके बाद शुरूआत में सबसे पहले नीना शर्मा ने अध्यक्ष मंडल की ओर से शोक प्रस्ताव रखा। वरिष्ठ टे्रड यूनियन नेता श्री चिम्मन सिंह सिकरवार ने अपने स्वागत भाषण में सम्मेलन को शुभकामना देेते हुए आशा व्यक्त की कि मुरैना का यह सम्मेलन मध्यप्रदेश में जनवादी महिला समिति के लिये एक नया पड़ाव साबित होगा।

सम्मेलन का शुभारंभ संगठन की राष्ट्रीय महासचिव मरियम धवले के उद्घाटन भाषण से हुआ। प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा आज सबसे ज्यादा बुरी हालत महिलाओं की है महिलाओं को सबसे अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। देश व प्रदेश में महिलाओं की बदतर स्थिति के लिए सरकारें भी जिम्मेदार होती हैं। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करके दोबारा सत्ता में आई यह सरकार महिला, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक, मजदूर व किसान विरोधी है इसके हर जनविरोधी कदम के खिलाफ  हमें महिलाओं को लामबंद करना पड़ेगा। मध्यप्रदेश की सामाजिक और राजनैतिक परिस्थितियों को बदलने की एक बड़ी जिम्मेदारी को पूरा करने में मध्यप्रदेश का जनवादी महिला समिति का संगठन अपनी भूमिका निभाएगा इसी शुभकामना के साथ सुश्री मरियम ढवले ने सम्मेलन का शुभारंभ किया।

सम्मेलन को शुभकामनाएं देने अलग-अलग संगठनों मध्यप्रदेश सीटू से रामविलास गोस्वामी, अखिल भारतीय किसान सभा से अशोक तिवारी, दलित शोषण मुक्ति मंच से जे.के. पिप्पल, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका एकता यूनियन से सुश्री किशोरी वर्मा और एसएफआई की आकंाक्षा धाकड़ सहित मुरैना विधानसभा के विधायक रघुराज कंसाना भी शामिल थे। सम्मेलन में युवा प्रतिनिधियों ने जनगीत गाकर सम्मेलन के माहौल को और अधिक जोशीला बनाए रखा। 
रैली आमसभा
सम्मेलन के उद्घाटन होने के बाद दोपहर 2 बजे से मुरैना के नेहरू पार्क से टाउन हॉल तक प्रभावशाली रैली हुई, जो आम जनता में चर्चा का विषय रही। टाउन हॉल में हुई विशाल आमसभा हुई जिसकी अध्यक्षता विद्या खंगार ने की। सभा में ग्वालियर की पार्षद उषा गोस्वागी भी विशेष रूप से उपस्थित थीं। सभा की मुख्य वक्ता संगठन की महासचिव मरियम ढवले थीं। उन्होंने कहा कि पिछले 15 साल से मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार रही लेकिन बेटी बचाओ के चुनावी नारे के बावजूद इस चंबल क्षेत्र में लिंगानुपात में काफी असमानता है। इसका कारण भाजपा की सामंती और पुरूषवादी मानसिकता है।  
आमसभा को संबोधित करते हुए नीना शर्मा ने कहा कि आजादी के सात दशकों से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी काजी बसई जैसे कई गांव में स्कूल व हाईस्कूल तक नहीं है, ऐसे हालात में बेटियाँ कैसे पढ़ेंगी? सभा को संबोधित करते हुए रीना शाक्य ने कहा चंबल की धरती बीहड़ और डकैतों के लिए ही नहीं जानी जाती है बल्कि जब भी जातिगत सामंती दमन हुआ है चाहे रानी लक्ष्मी बाई हो या झलकारी बाई या फूलनदेवी सबका लडक़र मरने का इतिहास है वे जौहर करने वालों में शामिल नहीं है। शैला शुक्ला ने कहा कि राशन के लिए अँगूठे का निशान होना आवश्यक करके  कई परिवारों को सरकार ने राशन से वंचित कर दिया है दूसरी ओर कुपोषण हटाओ का खोखला नारा देकर सरकारी पैसे का दुरूपयोग और भ्रष्टाचार करने में तमाम कागजी अभियान चलाये जा रहे हैं।  

दूसरा सत्र 17 जुलाई को प्रारंभ हुआ। संगठन की महासचिव शैला शुक्ला ने राजनैतिक सामाजिक व सांगठनिक रिपोर्ट प्रतिनिधियों के सामने रखी। रिपोर्ट के अलग अलग हिस्सों पर हुई बहस में कुल 26 महिलाओं ने हिस्सेदारी कर अपने अपने जिले से सुझाव रखे और रिपोर्ट को सर्वसम्मति से पारित किया। प्रतिनिधियों ने मंाग की कि प्रत्येक कॉलेज में एंटी रैगिंग कमेटी में दलित, अल्पसंख्यक और महिला प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए ताकि वंचित समुदाय व युवतियां अपनी बात सहजता से रख सकें। राशन, पेंशन, शराबबंदी, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य पर महिलाओं ने अपने सुझाव दिए। सम्मेलन में बहस की खास बात यह रही कि कई महिलाओं ने रिपोर्ट का समर्थन करते हुए कहा कि यह व्यक्ति की अपनी स्वतंत्रता है जिसे चाहे अपना जीवन साथी बनाये। 

सम्मेलन में चार प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए जिसमें एक प्रस्ताव सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ था, दूसरा लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमलों के खिलाफ, तीसरा भीड़ द्वारा हमले और हत्याऐं करने के खिलाफ और चौथा सरकार की महिला विरोधी बजट के खिलाफ  था, सरकार विरोधी नारे लगाते हुए इन प्रस्तावों का समर्थन किया।

सम्मेलन में दो कमीशन पेपर पर चर्चा हुई जिसमें एक दलित मुद्दे पर था जिसे समूह चर्चा के बाद निष्कर्षों को रीना शाक्य ने रखा तथा दूसरा घरेलू कामगार महिलाओं से संबंधित था जिस पर हुई समूह चर्चा के बाद निष्कर्षों को कमरजवीं ने प्रस्तुत किया।  
सम्मेलन ने 26 सदस्यीय राज्य कमेटी का चुनाव किया जिसमें नीना शर्मा को अध्यक्ष और शैला शुक्ला को सर्वसम्मति से पुन: महासचिव चुना। इसके अलावा तीन उपाध्यक्ष संध्या शैली, कमरजवीं व संतोष प्रजापति, सहसचिव प्रीति सिंह, रीना शाक्य और रेखा पचौरी चुनी गई। कोषाध्यक्ष विजया ठाकुर को चुना गया। राज्य कमेटी सदस्य के रूप में अन्नपूर्णां सेन, कला कुशवाह, खुशबू केवट, अरूणा, सविता, सलमा बेगम, गीता जाटव, सुमन शर्मा, शोभा माहौर, तरूलता, सावित्री कुशवाह, देववती राठौर, पार्वती राठौर को चुना गया कामकाजी महिला की प्रतिनिधि की तौर पर विद्या खंगार और विज्ञान मोर्चे की प्रतिनिधि के तौर पर आशा मिश्रा को चुना गया। वरिष्ठ साथी निर्मला कुशवाह को उनके स्वास्थ्य के आधार पर राज्य समिति की जिम्मेदारी से मुक्त करके संरक्षक चुना गया।  

सम्मेलन का समापन करते हुए राष्ट्रीय महासचिव मरियम ढवले ने अपने उद्बोधन में संागठनिक गुणवत्ता को बढ़ाने और अधिक से अधिक महिलाओं के बीच पहुंचने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे संगठन के पास बढऩे,फैलने और आगे आने की बहुत संभावनायें हैं। केवल हम उसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। अलग अलग गुणवत्ता वाले कार्यकर्ताओं का उपयोग उनकी क्षमता के अनुसार करके हमें संगठन को मजबूत करना है।

राज्य महासचिव शैला शुक्ला ने सभी प्रतिनिधियों और नई राज्य समिति को बधाई दी और आने वाले समय में नयी चुनौतियों का नये जोश से सामना करने के लिये शुभकामनायें दीं।
नवनिर्वाचित राज्य अध्यक्ष नीना शर्मा ने सम्मेलन समाप्ति की घोषणा की। इसके बाद सामूहिक गीतों के लंबे सिलसिले के बाद प्रतिनिधि नये जोश के साथ अपने अपने जिलों को रवाना हुईं। 

रीना शाक्य

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