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युवाओं, सामंती उत्पीडऩ के शिकार तबकों को लामबंद  करो: बादल सरोज 

मध्यप्रदेश की ओर नव उदारीकरण की जनविरोधी नीतियों का शिकार हो रहा है, वहीं दूसरी ओर संघ परिवार की हिंदुत्ववादी साम्पद्रायिक धु्रवीकरण की प्रयोगशाला बना हुआ है। प्रदेश में साम्प्रदायिक सदभाव की रक्षा करने और जन कल्याण व विकास की जनपक्षी वैकल्पिक नीतियों के लिए जनता को संगठित करना होगा।

सबलगढ। मध्यप्रदेश की ओर नव उदारीकरण की जनविरोधी नीतियों का शिकार हो रहा है, वहीं दूसरी ओर संघ परिवार की हिंदुत्ववादी साम्पद्रायिक धु्रवीकरण की प्रयोगशाला बना हुआ है। प्रदेश में साम्प्रदायिक सदभाव की रक्षा करने और जन कल्याण व विकास की जनपक्षी वैकल्पिक नीतियों के लिए जनता को संगठित करना होगा। 

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 15वें राज्य सम्मेलन में प्रदेश की राजनीतिक परिस्थिति की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए पार्टी राज्य सचिव बादल सरोज ने यह बात ही। कृषि और किसानों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि किसान आत्महत्या के मामले में प्रदेश पांचवे स्थान से तीसरे स्थान पर आ गया है। उद्योग और रोजगार चौपट हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में औद्योगिक विकास के नाम पर भू-माफियाओं और कारपोरेट घरानों को भूमि सौंपने के लिए किसानों की बेदखली की जा रही है। इसलिए विस्थापन प्रदेश में एक बड़ा मुद्दा है। नोटबंदी और जीएसटी के बाद रोजगार और उद्योग की हालत और भी खराब हो गई है। प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में अधिकांश इकाईयां या तो बंद पड़ी है, या फिर वहां श्रम कानूनों का उल्लघंन हो रहा है, श्रमिकों के शोषण में भी सरकार सहायक हो रही है।

जन कल्याणकारी योजनायें लगातार या तो बंद की जा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। यह विड़बना है कि वृद्धा और बेसहारा पेंशन अधिकतम तीन सौ रुपये मिलती है, मगर जीरो बैंलेंस में खुले खातों में जब तक खाते में दो हजार रुपये से अधिक न हो तब तक वे अपने खाते से पैसा निकाल नहीं सकते हैं। बादल सरोज के अनुसार बिजली कंपनियों की लूट से ग्रामीण और शहरी सब उपभोक्ता परेशान है। सरकार सार्वजनिक विद्युत उत्पादन इकाईयों को ठप्प कर निजी कंपनियों से मंहगी बिजली खरीद रही हैं। 

प्रदेश सरकार की तानाशाही प्रवृत्तियों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि जनता के जनवादी अधिकारों पर लगातार हमले हो रहें है। पूरे प्रदेश में धारा 144 और कलेक्टरों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देना इसके उदाहरण हैं।

बादल सरोज द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार हिंदुत्व की मनुवादी नीतियों के कारण प्रदेश में दलित, आदिवासी और महिलायें उत्पीडऩ का शिकार हो रही हैं, इसलिए दलित उत्पीडऩ के खिलाफ संघर्ष को पार्टी की प्राथमिकता होना चाहिये। रिपोर्ट के अनुसार दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और युवाओं को संगठित करना और पार्टी के साथ जोडऩे का काम प्राथमिकता से लेना होगा। 

पार्टी के पूर्व राज्य सचिव बहादुर सिंह धाकड़ की स्मूति में आयोजित इस सम्मेलन का उदघाटान पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने किया। सम्मेलन का संचालन छह सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने किया जिसमें संध्या शैली, आशा मिश्रा, किशोरी वर्मा, विद्या खंगार, देववती राठौर और प्रेमा बाई शामिल है। शहडोल के आदिवासी क्षेत्रों में कार्य करने वाले 85 वर्षीय नेता धनीराम यादन ने पार्टी का ध्वजारोहण किया।

रिपोर्ट पर आज दिन भर चर्चा जारी रही।

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