भोपाल। भिंड जिले के एंडोरी पुलिस थाने के अंर्तगत लोहरी का पुरा गांव में दलित उत्पीडऩ की घटना दिल दहला देने वाली है, जहां एक बुजुर्ग दलित कप्तान बाल्मीकि की मृत्यु हो जाने के बाद गांव के दबंगों ने सार्वजनिक श्मशान में दाह संस्कार ही नहीं होने दिया है। बाद में उसके बेटे रामौतार बाल्मीकि को अपने घर के बाहर पिता का दाह संस्कार करना पड़ा।
माकपा राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने कहा कि चिंता की बात तो यह है कि दबंगों ने उस समय रामौतार और अन्य परिजनों पर श्मशान की भूमि पर दाह संस्कार न करने की धमकी दी, जब वह वहां पर अपने पिता की चिता सजा रहा था।
जसविंदर सिंह ने कहा कि उत्तरी मध्यप्रदेश में हुई यह दूसरी घटना है। इससे पूर्व मुरैना जिले की अंबाह तहसील में पाराशर की गढ़ी में एक दलित युवक को अपनी पत्नी का दाह संस्कार अपने घर में करने पर मजबूर किया गया था।
उन्होंने कहा कि इस घटना से स्पष्ट है कि भाजपा सरकार जिन मनुवादी नीतियों को संरक्षण दे रही है, उसके कारण दबंगों और सामंतों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। लोहरी का पुरा की घटना पर भी प्रशासन जांच के बहाने मामले को टालने की कोशिश कर रहा है, जबकि दबंगों के खिलाफ तत्काल दलित उत्पीडऩ के तहत मुकदमा दायर कर उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिये।
माकपा नेता ने कहा कि चिंता की बात यह है कि इस क्षेत्र के स्थानीय विधायक, जो स्वंय एक हत्या के मामले में फरारी काटने के बाद जमानत पर हैं, इस घटना पर चुपी साधे हुए हैं, क्योंकि दलित होने के बावजूद उन्हें चुनाव जीतने के लिए सामंतों के समर्थन की आवश्यकता होती है।
माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी इस घटना की निंदा करते हुए अपराधी दबंगों के खिलाफ दलित उत्पीडऩ के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें तत्काल गिरफ्तार करने, पीडि़त परिवार को दस लाख रुपये मुआवजा देने और गांव में सार्वजनिक श्मशान की व्यवस्था करने की मांग करती है। माकपा ने घटना की जानकारी और स्थिति का जायजा लेने के लिए एक प्रतिनिधि मंडल भी रवाना किया है।
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