भोपाल । सीहोर के सैकड़ाखेड़ी गाँव में भड़की साम्प्रदायिक हिंसा आजमाए हुए पैटर्न पर है। बजरंग दल की इस कथित झंडा-यात्रा के रास्ते और बेहद आपत्तिजनक नारों का चयन ही इस इरादे से किया गया था कि टकराव और झगड़ा हो। तोड़फोड़, आगजनी और आनन-फानन में ही उत्पात का सीहोर शहर तक पहुँच जाना पूर्वयोजना की पुष्टि करता है। इस पूरी हिंसा में पुलिस-प्रशासन का रवैया मूकदर्शक का रहा , अब जो कार्यवाहियां की जा रही हैं वे एकपक्षीय तरीके से की जा रही हैं। उक्त आशय की बात माकपा राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने कही।
उन्होंने कहा कि सतना में जमीन के विवाद में हुये झगड़े में एक व्यक्ति की मौत और उसके बाद हुयी आगजनी में घर फूंक कर दो व्यक्तियों की ज़िंदा जलाकर की गयी ह्त्या भी ऐसी ही वारदात है जिसे पुलिस समय पर कार्यवाही करके तीनों मौतों को टाल सकती थी।
सीपीएम मध्यप्रदेश इन सब की निंदा करती है और मांग करती है कि उन्माद और हिंसा रोकने के लिए कदम उठाये जायें।
माकपा नेता ने कहा कि इसी क्रम में मंडला की घटना देखी जानी चाहिए जहां युवा कलेक्टर सूफ़िया फारुकी शंकराचार्य की पादुकाओं को सर पर धारण करके पथसंचलन में शामिल हुईं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का यह आचरण - भले वह स्वेच्छा से हुआ हो या दबाब अथवा प्रलोभन से - सरकारी सेवा नियमों सहित हर प्रकार से अशोभनीय और आपत्तिजनक है।
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