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आरएसएस से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों को चुनाव से दूर रखे आयोग-माकपा

मध्यप्रदेश में निष्पक्ष चुनाव के लिए जरूरी है कि आरएसएस की शाखाओं में जाने वाले अधिकारियों / कर्मचारियों को विधानसभा चुनाव से दूर रखा जाए। इस आशय की बात मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने पत्रकार वार्ता में कही।

भोपाल। मध्यप्रदेश में निष्पक्ष चुनाव के लिए जरूरी है कि आरएसएस की शाखाओं में जाने वाले अधिकारियों / कर्मचारियों को विधानसभा चुनाव से दूर रखा जाए। इस आशय की बात मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने पत्रकार वार्ता में कही।


उन्होंने कहा कि नव वर्ष के शुरू में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के प्रदेश में विभिन्न जिलो में हुए कार्यक्रमों में उन्होंने भाजपा के लिए चुनाव जितवाने के लिए नये स्वयसेवक देने की बात कही। चुनाव आयोग का मकसद निष्पक्ष चुनाव कराने का है लेकिन जिन अधिकारियों की निष्ठा पहले से ही आरएसएस के प्रति है उनसे निष्पक्ष चुनाव की आशा नहीं की जा सकती। इस बारे में उन्होंने बताया कि वे मुख्य चुनाव आयोग को एक पत्र भेज रहे है जिसमें मध्यप्रदेश प्रवास के दौरान मोहन भागवत द्वारा भाजपा को जिताने और लोगों को इस बात का एहसास न हो कि आरएसएस भाजपा के लिए काम कर रहा है, ऐसी नसीहत उन्होंने आरएसएस कार्यकर्ताओं को दी है।


इस संबंध में विभिन्न समाचार माध्यमों में प्रसारित खबर का हवाले देते हुए माकपा नेता ने कहा कि भाजपा की गिरती साख को बचाने के लिए प्रदेश में तीव्र साम्प्रदायिक उन्माद पैदा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ऐसे अधिकारियों/कर्मचारियों को चिंहिंत करे जो आरएसएस की शाखाओं में जाते है उन्हें चुनाव से दूर रखा जाए साथ ही आरएसएस जो कि राजनीति में सीधा हस्तक्षेप करती है इस संगठन को राजनैतिक संगठन मानकर राजनैतिक दलो की तरह देश के संविधान के प्रति आस्थावान होना चाहिए।


चुनाव आयोग को आरएसएस संगठन से आय के स्रोतों के बारे में जानकारी लेनी चाहिए और इसका राजनैतिक दल के रुप में आयोग पंजीयन करे। श्री सिंह ने कहा कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया व संवैधानिक संस्थाओं के प्रति जनता के विश्वास को मजबूत करेंगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि चुनाव आयोग प्रदेश में निष्पक्ष व सौहाद्र्रपूर्ण चुनाव कराने के लिए ठोस कदम उठाएगा।

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प्रति
मुख्य चुनाव आयुक्त महोदय,
निर्वाचन भवन
नई दिल्ली।

विषय-मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की चुनावी सक्रियता के संबंध में।
महोदय,

    भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की मध्यप्रदेश राज्य समिति की ओर से इस नई जिम्मेदारी के लिए आपको बधाई देते हुए कामना करता हूं कि आपके नेतृत्व में चुनाव आयोग की दर्शनीय निष्पक्षता न केवल लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुदृढ़ करेगी बल्कि आम नागरिक में भी लोकतंत्र के प्रति विश्वास को और मजबूत करेगी।


हालांकि आपको यह पत्र लिखने का मेरा मकसद सिर्फ  आपको बधाई देना नहीं है,बल्कि इस वर्ष राज्य में होने वाले विधान सभा चुनावों के प्रति आपका ध्यान आकर्षित करना है।


चुनाव के समय राजनीतिक दलों का सक्रिय होना आम बात है, उन्हें यह करना भी चाहिये। मगर वह संगठन जो स्वंय को गैर राजनीतिक संगठन कहता हो, जो स्वंय को सांस्कृतिक संगठन होने का दावा करता हो, यदि वो संगठन चुनाव में सक्रिय होता है तो यह गंभीर मामला है। मैं राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की बात कर रहा हूं। आप जानते ही हैं कि पूर्व में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के कारण यह संगठन तीन बार प्रतिबंधित हो चुका है। लंबे समय तक शासकीय कर्मचारियों का संघ की शाखाओं में जाना प्रतिबंधित रहा है। अभी भी कुछ राज्यों में यह प्रतिबंध लगा हुआ है। मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के आने के बाद से यह प्रतिबंध हटा दिया गया है।


 नए वर्ष के पहले माह के पहले पखवाड़े में संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत की प्रदेश में गतिविधियां उनके असली इरादों को जाहिर करती हैं। उनका मकसद केवल एक पार्टी को चुनाव जितवाना ही नहीं बल्कि उसके लिए प्रदेश के साम्प्रदायिक सदभाव को दांव पर लगाना भी है।


उज्जैन में संघ की दो दिवसीय बैठक में न केवल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, बल्कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने उनसे मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने विदिशा में संघ से संबंधित विभिन्न संगठनों के 425 प्रतिनिधियों के साथ मंथन किया। वे इंदौर और भोपाल में भी रहे। उनके इस दौरे के दौरान विभिन्न समाचार पत्रों में छपे उनके बयानों का सारांश इस प्रकार है-


1. संघ प्रमुख ने गुजरात चुनाव परिणामों पर चिंता व्यक्त की। मध्यप्रदेश के बारे में उन्होंने कहा कि नौकरशाही हावी है, यदि इसे दुरुस्त नहीं किया गया तो 2018 और 2019 का लक्ष्य पूरा नहीं हो पायेगा। उन्होंने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा को जितवाने के लिए नए स्वंयसेवक उपलब्ध कराने की बात भी कही। इस संबंध में नामों पर विचार भी हुआ।


2. उन्होंने भाजपा सरकार की दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक विरोधी नीतियों के कारण इन तीनों समुदाय में बनती एकता़ पर भी चिंता व्यक्त की और कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए कि इससे स्थानीय स्तर पर निबटा जाये। जाहिर है कि साम्प्रदायिक विभाजन के जरिये ही इन समुदायों में दरार डाली जा सकती है। यह बेहद खतरनाक है और प्रदेश को साम्प्रदायिक सदभाव की बिगाडऩे की गहरी साजिश का संकेत है।


3. यह साजिश इसलिए भी है कि उन्होने स्वंयसेवकों को यह भी कहा है कि उन्हें अपना कार्य इस तरह से करना है कि भाजपा को फायदा भी हो मगर जनता में यह संदेश न जाये कि संघ का भाजपा के साथ कोई नाता है।
महोदय, यह समझने के लिए कोई राजनीतिक पंडित होना जरूरी नहीं है कि जब आप किसी राजनीतिक दल की जनता में गिरती शाख से चिंतित हैं, आप अपने स्वंयसेवकों को उस पार्टी की गिरती हुई शाख को बचाने के लिए भेज रहे हैं, तो फिर उस पार्टी से संघ का क्या रिश्ता है?


4.  हम इन समाचारों के लिंक भी आपको भेज रहे हैं। मगर हम चुनाव आयोग से दर्शनीय निष्पक्षता की आशा करते हुए आपसे अनुरोध करते हैं कि-
1. उन कर्मचारियों को चिन्हांकित किया जाये, जो संघ की शाखाओं में जाते हैं और उन्हें विधान सभा निर्वाचन की प्रक्रिया से अलग किया जाये।
2. राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की उपरोक्त गतिविधियों के आधार पर उसे राजनीतिक संगठन घोषित करें और निर्वाचन की प्रक्रिया की निष्पक्षता के लिए उससे जुड़े व्यक्तियों को चुनाव प्रक्रिया से दूर ही रखें।
3. पेड न्यूज के अपराध में मध्यप्रदेश के एक विधायक की सदस्यता शून्य कर देने और उनके चुनाव लडऩे पर छह साल के लिए प्रतिबंध लगा देने के बाद भी वह मंत्रीमंडल के सदस्य हैं। हम आशा करते हैं कि आप सर्वोच्च न्यायालय को वह याचिका खारिज करने के लिए अनुरोध करेंगे, जिसका बहाना बनाकर वे संसदीय जनतंत्र का मजाक बना रहे हैं।
आशा है निष्पक्ष और सोहार्दपूर्ण वातावरण में विधान सभा चुनाव कराये जाने के लिए उक्त कदम उठायेंगे।

इसी आशा के साथ
भवदीय
जसविंदर सिंह,
 राज्य सचिव
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(
मार्क्सवादी)
राज्य समिति मध्यप्रदेश
9425009909

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