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बलात्कार पीड़िताओं को सिर्फ साढ़े 6 हजार रुपये

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की म प्र इकाई ने दुष्कर्म पीड़िताओं को निर्भया फंड से सिर्फ 6500 रुपये की शर्मनाक राशि दिए जाने की कड़े शब्दों में निंदा की है ।


 
भोपाल। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की म प्र इकाई ने दुष्कर्म पीड़िताओं को निर्भया फंड से सिर्फ 6500 रुपये की शर्मनाक राशि दिए जाने की कड़े शब्दों में निंदा की है ।
ऐसा उस मध्यप्रदेश में किया गया है जो महिलाओं पर हिंसा के मामले में अव्वल है

बलात्कार के मामले में तो पहले नंबर पर है ,जहां प्रतिदिन 12 बलात्कार की घटना होती है और जहां का मुख्यमंत्री दुनिया का एकमात्र व्यक्ति है जो स्वयं को इन सहित सारी बच्चियों का मामा कहता है। जमस की राज्य अध्यक्ष नीना शर्मा और महासचिव शैला शुक्ला ने कहा कि यह स्थिति तब है जब कि केंद्र से निर्भया फंड के तहत सबसे अधिक आवंटन (19 दिसंबर 2017 को लोकसभा में दिए बयान के मुताबिक) विभिन्न मदों में 21.80 करोड़ रुपये पाने वाला मध्यप्रदेश उप्र के बाद दूसरा राज्य है लेकिन राज्य ने 1951 बलात्कार महिलाओं को सिर्फ 1 करोड़ दिए गए। यानी प्रत्येक पीड़िता को 6500 रुपये मदद दी गई।
 
उन्होंने कहा कि इस मंहगाई के दौर में बलात्कार की शिकार महिला उस राशि से कैसे दोबारा खड़ी हो पाएगी, शारीरिक मानसिक इलाज कराएगी, न्याय के लिए विभिन्न विभागों, अदालतों के चक्कर लगाएगी ,वकीलों की फीस देगी, घर खर्च चलाएगी, या पढ़ने लिखनेे वाली लड़की अपनी शिक्षा का खर्च उठाएगी। इस तरह के जघन्य हादसों की शिकार कई लड़कियों ऐसी भी होती है जिनके परिवार मेहनत मजदूरी पर चलते हैं और ऐसी घटना के बाद उनका काम छूट जाता है नतीजे में पूरा परिवार तबाह हो जाता है । इन हालात में उन्हें 6500 की राशि देकर सरकार उनकी मदद करने की बजाए उनका अपमान कर रही है।
 
जनवादी महिला समिति ने सरकार के इस रवैये की निंदा करते हुए बलात्कार पीड़ित महिलाओं को एक ही अथॉरिटी के जरिये सारी मदद देने की मांग की है । एडवा की मांग है कि उन्हें आर्थिक मदद के साथ सरकारी नौकरी भी दी जानी चाहिए । एक ही जगह से मदद देने वाले वन स्टॉप सेंटर बहुत कम हैं इन्हें बढ़ाया जाना चाहिये, साथ ही निर्भया फंड, जिसे बजट में यथावत रखा गया है, कोे भी बढ़ाया जाना चाहिए और निर्भया फण्ड ठीक तरह से ख़र्च हो रहा है या नहीं इसकी जबाबदेही होनी चाहिए।
 
नीना शर्मा और शैला शुक्ला ने कहा कि इस तरह की बर्बरता रोकने के लिए सामाजिक वातावरण में बदलाव भी जरूरी है । इसकी शुरुआत नेता ,मंत्री ,पुलिस ,अधिकारियों की महिलाएं के पहनावे और आजादी को लेकर नकारात्मक टिप्पणियों पर रोक लगाने से की जानी चाहिए । इस तरह की टिप्पणियां करने वालों पर कार्यवाही की जानी चाहिए क्योंकि दरअसल अपनी बकवास से वे अपराधियो को बल दे रहे होते हैं ।
 

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