भोपाल। प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं स्वास्थ्य सेवाओं के संचालन में अहम भूमिका निभाने वाली आशा-ऊषा-आशा सहयोगियों ने अपने साथ हो रहे अमानवीय शोषण के खिलाफ, जीने लायक वेतन की मांग को लेकर आशा-ऊषा-आशा सहयोगी एकता यूनियन मध्यप्रदेश (सीटू ) के आह्वान पर आज 19 फरवरी 2018 को भोपाल के नीलम पार्क में विशाल सभा और जोरदार प्रदर्शन किया।
सभा को सम्बोधित करते हुये विभिन्न जिलों से आये आशा यूनियन के प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि दिन-रात काम करने के बावजूद सरकार आशाओं को जीने लायक वेतन नहीं दे रही है।। आशाओं के लिये सरकार द्वारा लागू प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था को अन्यायपूर्ण बताते हुए वक्ताओं ने कहा कि इस पद्धति के माध्यम से सरकार आशाओं का अमानवीय शोषण कर रही है, जिसमें आशाओं के द्वारा किये गये काम का आधा अधूरा भुगतान कर सरकार लूट रही है। विभाग द्वारा अनुचित दबाव बनाकर बाकया राशि मांगने से रोकती है। इस अव्यवाहारिक व अनुचित व्यवस्था के माध्यम से आशाओं के प्रोत्साहन राशि (मजदूरी) के हिस्से की करोडों रुपये विभाग हर महीने लूट रही है। सीटू व अन्य केन्द्रीय श्रमिक संगठनों के लम्बे संघर्ष के बाद आशाओं सहित योजना कर्मियों के लिये भविष्य निधि व अन्य सामाजिक सुरक्षा योजना को लागू करने का निर्णय के साथ शासकीय कर्मचारी बनाने जाने तक 18 हजार रुपए न्यूनतम वेतन दिए जाने की मांग पर भी केन्द सरकार खामोश है।
17 मार्च को होगी प्रदेशव्यापी हडताल
आशाओं के लिये लागू प्रोत्साहन राशि की त्रुटिपूर्ण व्यवस्था को बदल कर राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त वेतन का भुगतान किये बिना इस लूट से आशाओं को राहत मिलना असम्भव है। इसलिये आशा-ऊषा-सहयोगियों ने यह संकल्प लिया कि राज्य सरकार की ओर से जीने लायक अतिरिक्त वेतन हासिल करने के लिये आंदोलन को तेज किया जाएगा। सरकार द्वारा मांगों को न माने जाने पर यूनियन द्वारा 17 मार्च को आशा-ऊषा-सहयोगियों का एक दिवसीय प्रदेश व्यापी हडताल का एलान किया।
इन्होंने भी किया संबोधित
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