राज्यभर की 2 लाख आंगनबाड़ी कर्मियों की लंबे समय से चली आ रही लड़ाई विधानसभा तक पहुँच गयी । इन पंक्तियों के लिखे जाने तक 10 हजार महिला कर्मी भोपाल पहुँच चुकी हैं ।महापड़ाव शुरू कर दिया है ।
बजट सत्र के दौरान विधानसभा पर महापड़ाव का आयोजन सात संगठनों ने संयुक्त रुप से ‘आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संयुक्त मंच मध्यप्रदेश’ के बैनर तले किया है।
महापड़ाव की अध्यक्षता आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका एकता यूनियन म.प्र.(सीटू) की प्रदेश अध्यक्ष विद्या खंगार, मानसेवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता / सहायिका संघ म.प्र. अध्यक्ष पार्वती आर्य, आंगनबाड़ी प्रकोष्ठ (ल.क.संघ) भोपाल की राजकुमारी ओझा, आदर्श आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ की माया बिलाला , बादल आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ नरसिंहपुर सुमित्रा कौरव, शासकीय कर्मचारी परिसंघ (आंगनबाड़ी प्रकोष्ठ) की साधना भदौरिया, भोपाल, मध्यप्रदेश आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ संभाग सागर की पार्वती पटेल ने की।
केंद्र सरकार एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) का बजट कम कर रही है साथ ही तेजी से निजीकरण की साजिश रची जा रही है। इस योजना को बचाने, सरकारी कर्मचारी का दर्जा, वेतन व सुविधाएं बढ़ाने, न्यूनतम वेतन, रोजगार की सुरक्षा, समय पर मानदेय का भुगतान करने, सेवा निवृत्ति की आयु 65 वर्ष की जाये एवं सेवा निवृत्ति पर 5 लाख रुपये कार्यकर्ता को एवं 3 लाख रुपये सहायिका को दिए जाने, आंगनबाड़ी कर्मियों की सेवा अवधि में रहते हुए मृत्यु होने पर अंत्येष्टी के लिए 25 हजार रुपये एवं अनुदान राशि के रूप में कार्यकर्ता व सहायिका के परिवार को 10 लाख रुपये की अनुदान राशि दिए जाने सहित 17 मांगों को लेकर यह महापड़ाव हुआ है ।
महापड़ाव में मुख्य वक्ता के रुप मेें अखिल भारतीय आंगनबाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स फैडरेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष ऊषा रानी सहित हाजरा काजमी, कमलेश शर्मा, कीर्ति बैरागी, सुमित्रा राठौर, ऊषा सातनकर, शारदा भदौरिया सहित विभिन्न जिलो की नेताओं ने संबोधित किया।
वक्ताओं ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार का रवैया कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं के साथ भेदभावपूर्ण है। उन्होंने कहा कि शासकीय कर्मचारी बनाया जाए, सभी सुविधाए दी जाए।
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