भोपाल। त्रिपुरा विधान सभा चुनावों में पृथकतावादी-आतंकवादी गुटों के साथ मिलकर सत्ता में आई भाजपा ने परिणाम आते ही अपने फासीवादी चेहरे से नकाब उतार दिया है। संसदीय जनतंत्र में चुनावी जीत या हार सामान्य बात है। मगर 45 प्रतिशत मतों के साथ वाममोर्चा और एक पार्टी के रूप में सबसे अधिक जनसमर्थन प्राप्त करने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने जहां जनादेश को स्वीकार किया है। वहीं शपथ ग्रहण से पूर्व ही भाजपा और संघ परिवार ने माकपा सहित वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं, नेताओं, कार्यालयों और घरों को निशाना बनाकर हमले करना शुरू कर दिया है।
माकपा राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने कहा कि बदलाव के नाम पर सत्ता में आई भाजपा और उसके गठबंधन के यह हमले चिंता का विषय हैं। जनतंत्र में जहां हर नागरिक को अपने राजनीतिक विचार रखने और व्यक्त करने का अधिकार है। वहां यह भाजपा और संघ परिवार ही है जो सत्ता में आने के बाद पहले कांग्रेस मुक्त भारत और अब वामपंथ मुक्त भारत की बात कर रहा है। यह संघ परिवार की फासीवादी सोच को रेखांकित करता है।
श्री सिंह ने कहा कि लेनिन की मूर्ति हटाया जाना भी यही स्पष्ट करता है कि भाजपा और संघ परिवार लोकतंत्र और और जनतांत्रिक अधिकारों व संविधानिक मर्यादाओं को पूरी तरह खत्म करने पर तुली है। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि जो लोग आजादी के बाद राष्ट्रपिता की हत्या कर जश्न मनाते हुए मिठाईयां बांट रहे थे, वही लोग आज लेनिन की मूर्ति तोड़ रहे हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की मध्यप्रदेश राज्य समिति संघ परिवार के कुनबे के आतंक, फासीवादी हरकतों, माकपा और वामपंथी कार्यकर्ताओं पर रक्तरंजित हमलों, कार्यालयों पर कब्जों और हमलों की निंदा करती है। पार्टी त्रिपुरा के संघर्षरत कार्यकर्ताओं के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हुए फासीवादी शक्तियों को चेतावनी देते हुए कहना चाहती है कि जनता और जनतंत्र अपराजेय है, हिटलर की चाल चलने वालों को हिटलर का अंत भी याद रखना चाहिए।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी प्रदेश भर में पार्टी इकाईयों को वामपंथी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक शक्तियों व व्यक्तियों को एकजुट कर त्रिपुरा के वामपंथी कार्यकर्ताओं के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए विरोध कार्यवाहियां करने का आह्वान करती है।
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