नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल के आदेश के बावजूद संस्थान ने श्रमिकों को वेतन का भुगतान नहीं किया है। उनके अनुसार प्रदेश सरकार भी जितेन्द्र डागर की हत्या की जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकती है। सरकार और श्रम विभाग भी श्रम कानूनों का पालन करवाने में असफल साबित हुआ है। मेधा पाटकर के अनुसार 17 मार्च को मृतक के भाई की शादी होने वाली है। आर्थिक संकट ने उसे यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया है।
इस संस्थान की बिक्री के संबंध में हाईकोर्ट में सात फरवरी को सुनवाई हुई थी, मगर न्यायालय ने आदेश जारी नहीं किया है। मेधा पाटकर ने संस्थान प्रबंधन के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने और जितेन्द्र डागर के परिवार को पांच लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने भी घटना की निंदा करते हुए संस्थान के खिलाफ अपराधिक मुकदमा दर्ज करने और मृतक के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की है।
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