मुरैना। 2 अप्रैल के भारत बन्द के दिन और उसके बाद से मुरैना में जारी दलित उत्पीड़न और पुलिसिया आतंक के भय का सन्नाटा तोड़ा और तुरंत सभी गिरफ्तारो की रिहाई, डीएसएमएम प्रदेश संयोजक जे के पिप्पल, वरिष्ठ वकील रामहेत पिप्पल सहित सैकड़ों के विरुद्ध जारी इनामी वारंटों की निरस्ती के साथ समूचे प्रकरण की न्यायिक जांच की मांग की । न्यायिक जांच तक हर तरह की कार्यवाही एवम् एफआईआर को लम्बित करने की मांग की । अ.भा.जनवादी महिला समिति की प्रदेश उपाध्यक्ष संध्या शैली ने प्रदर्शन को संबोधित करते हुये कहा कि यह प्रतिरोध सिर्फ शुरुआत है, यदि सरकार ने मनुवादी आचरण नहीं बदला तो मुरैना की सारी महिलाये एवम् बाकी जन संगठन आगे की कार्यवाही करेंगे । प्रदर्शन में काफी बड़ी संख्या में महिलाये थीं ।
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति ने 2 अप्रैल को हुए भारत बंद के दौरान हुई हिंसा में मारे गए और घायल हुए दलितों को न्याय दिलाने के लिए कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। सैंकड़ों की तादाद में महिलाओं ने दलितों पर हुए दमन के खिलाफ आवाज उठाई और प्रशासन के भेदभावपूर्ण रवैये की आलोचना की। जमस ने मुख्यमंत्री के नाम एडीएम को सौंपे ज्ञापन में कहा कि 2 अप्रैल को हुई हिंसा की न्यायिक जांच की जाए। जेलो में बंद लोगों को मुचलके पर रिहा किया जाए। शांतिपूर्ण माहौल बनाया जाए। हिंसा में जिन लोगों की मौत हुई उन्हें एक करोड और घायलों को दस-दस लाख रुपए दिए जाए। निर्दोष लोगों पर मुकदमें में फसाना बना करो। एससी-एसटी एक्ट को प्रभावशाली बनाने अध्यादेश जारी करो।
जमस ने टाउन हाल से रैली निकाली और नगर के विभिन्न रास्तों से होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंची जहां आमसभा हुई। आमसभा को संबोधित करते हुए जनवादी महिला समिति की राज्य उपाध्यक्ष संध्या शैली व मध्यप्रदेश किसान सभा के राज्य महासचिव अशोक तिवारी ने संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि बंद के दौरान साम्प्रदायिक-फासीवादी ताकतो ने जानबूझकर हिंसा की। दलितों पर हमले किए। चम्बल संभाग में इस हिंसा में आठ लोगों की मौत हुई। अकेले मुरैना जिले में पांच मुकदमों में 17 सौ लोगों को शामिल किया गया है। इनमें से 2 सौ लोगों को जेलो में बंद किया गया है। जहां उन्हें प्रताडि़त किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी देकर लोगों से पैसे बसूलने में लगा है।
इस मौके पर सुमन शर्मा, रेखा पचौरी, रेशो, शारदा, मीरा, गुड्डी बाई, कमला, सुमन सहित सैंकड़ों महिलाओं ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रशासन की भेदभावपूर्ण कार्यप्रणाली को बेनकाब किया।
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