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सरकारी उदासीनता से आक्रोशित लोगों ने स्वयं की सहायता की पहल

बीते माह की 2 तारीख हो हुए भारत बंद के दौरान चंबल संभाग में 8 दलितों की हत्या हो गई थी, कई घायल हुए, सैकड़ों पर मुकदमें थोपे गए लेकिन सरकार की ओर से कोई सहानुभूति तक जताने नहीं आया।


ग्वालियर। बीते माह की 2 तारीख हो हुए भारत बंद के दौरान चंबल संभाग में 8 दलितों की हत्या हो गई थी, कई घायल हुए, सैकड़ों पर मुकदमें थोपे गए लेकिन सरकार की ओर से कोई सहानुभूति तक जताने नहीं आया। उल्टे दलितों पर हुए जुल्म में शासन व प्रशासन की सहमति जगजाहिर हो गई।

यह बंद एससी/एसटी एक्ट को नख-दन्त विहीन किये जाने के सुप्रीमकोर्ट के फैसले के विरोध में हुआ था। भारतबंद में शहीद हुए नागरिकों के परिजनों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए सरकार आगे नहीं आयी तो दलित शोषण मुक्ति मंच ने घर-घर जाकर फंड जुटाने की पहल की। संगठन के लोगों ने बताया कि इससे पीडि़त परिवारों की मदद की जाएगी।

डीएसएमएम के लोगों की पहल का नगर में लोगों ने स्वागत किया है और सहयोग के लिए आगे आए है। वहीं लोगों का कहना है कि वास्तव में इस घटना से यह स्पष्ट हो गया कि दलितों की सबसे बड़ी दुश्मन भाजपा सरकार ही है। उनकी सोच दलितों को समाज का एक उपेक्षित तबका बनाये रखने की है।

 

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