भोपाल । पहले ही पिछड़े प्रदेश को और पिछाडऩे के लिए प्रदेश कार 55 में से 25 विभागों को ख़त्म करने जा रही है। नीति आयोग ने सुझाव भेजा है कि सिर्फ 30 या अधिकतम 35 विभाग ही होने चाहिए। जानकारी के अनुसार गैस राहत विभाग को भी ख़त्म करने का प्रस्ताव है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की राय में सरकार के इस निर्णय के दो घातक परिणाम होंगे। एक ओर इससे सरकारी कर्मचारियों की संख्या कम होगी, जिससे बेरोजगारी में और अधिक इजाफा होगा। दूसरी ओर पहले से अव्यवस्था के शिकार सरकारी अमले पर अराजकता की मार और पड़ेगी।सर इसके साथ ही सरकारी विभागों के बंद होने के बाद निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा। जिसके दुष्परिणाम व्यापम घोटाले में पहले ही प्रदेश भुगत चुका है, जिसके चलते न केवल एक पूरी पीढ़ी का भविष्य चौपट हुआ है, बल्कि करीब चार दर्जन निर्दोष लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौतें भी हो चुकी हैं। निजीकरण ने शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन में प्रदेश की जनता की अमानवीय लूट की है। वहींद दूसरी ओर प्रदेश के खनिज और प्रकृतिक संपदा की बेरहमी से खननमाफियाओं ने लूट की है। विभिन्न विभागों को बंद करने के पीछे भी सरकार का यही मकसद है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी राज्य समिति ने कहा है कि यूनियन कार्बाईड से चुनावी चंदा लेने और एंडरसन को वापस न लाने वाली सरकारें गैस राहत विभाग भी ख़त्म करना चाहती हैं, जबकि अभी तक 50 हजार लोगों के दावों का निबटारा होना बाकी है और सर्वोच्च न्यायालय में भी एक याचिका विचाराधीन है।
माकपा के अनुसार प्रदेश सरकार के इरादों पर इसलिए और संदेह होता है, क्योंकि राज्य सरकार इस प्रक्रिया को पूरी तरह गोपनीय रखना चाहती है। अटल बिहारी सुशासन संंस्थान के डायरैक्टर अखिलेश अर्गल दोहरा रहे हैं कि विभागों को घटाकार 35 तक सीमित करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है, जबकि राज्य सरकार के मंत्री इस प्रकार के किसी प्रस्ताव पर अनभिज्ञयता व्यक्त कर रहे हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस प्रक्रिया को तुरन्त रोकने की मांग की है।
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