भोपाल। मध्यप्रदेश में जारी कथित जन आशीर्वाद यात्राओं में सरकारी धन और प्रशासनिक अमले का दुरूपयोग संसदीय लोकतंत्र की सारी मर्यादाओं और कानूनों का उल्लंघन है। ऐसा करने के लिए भाजपा के विरुद्ध कार्यवाही की जानी चाहिए तथा सारा खर्च उससे वसूल किया जाना चाहिए। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल की बैठक ने इसे एक असाधारण निर्लज्जता बताया। पार्टी राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने कहा कि इन आमसभाओं के व्यय का भुगतान सरकार कर रही है। भीड़ जुटाने के लिए बाकायदा आदेश जारी कर प्रशासनिक अमले को जिम्मा सौंपा जा रहा है। यह अलग बात है कि इसके बाद भी भीड़ नहीं आ रही।
सीपीएम की इस बैठक ने पांच दिन के मानसून सत्र को दो दिन में खत्म कर मात्र 11 मिनट में 17 विधेयक और 11160 करोड़ के अनुपूरक बजट को पारित करने के भाजपा सरकार के कारनामें को संसदीय प्रणाली की अवमानना का विश्व रिकार्ड बताया। सरकार के 25 विभागों को खत्म करने सहित अनेक जनविरोधी कदमों की भी माकपा ने निंदा की।
बिजली बिल माफी के दावे की असलियत उजागर करते हुए माकपा ने कहा कि यह उस सब्सिडी के मुकाबले आधी भी नहीं है जो सरकार बिजली कंपनियों को दे रही है। पिछली पांच सालों में बिजली कंपनियों, से खरीदी जाने वाली बिजली की कीमत 165 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि 86 हजार मिलियन यूनिट का भुगतान करके मात्र 40-45 हजार मिलियन यूनिट बिजली ली जा रही है। बिना बिजली खरीद ही 5 हजार करोड़ रुपयों का भुगतान बड़ा घोटाला है।
माकपा ने कांग्रेस के राजनीतिक दिवालियेपन को भी दर्ज किया और कहा कि वह बजाय कोई अभियान चलाने के या तो भाजपा की नकल कर रही है या एंटी इन्कमबैंसी का छींका टूटने का इंतजार कर रही है।
राज्य सचिव मंडल ने विधानसभा चुनावों के बारे में तैयारी की समीक्षा की ओर वामदलों के साथ मिलकर तथा अन्य धर्मनिरपेक्ष जनवादी दलों से समन्वय करके चुनाव लडऩे की राय दोहराई।
पार्टी ने 9 अगस्त के सफल जेल भरो आंदोलन की समीक्षा की एवं पांच सितम्बर को लाखों मजदूर किसानों की दिल्ली रैली का समर्थन किया।
पार्टी की केन्द्रीय नेता तथा पोलिट ब्यूरो सदस्य पूर्व सांसद सुभाषिणी अली भी दिन भर बैठक में उपस्थित रही।
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