Sidebar Menu

सिवनी की रानू नागोत्रा को इंसाफ दो, उसकी हत्या का मुजरिम अकेला सिर्फ मिश्रा नहीं और भी हैं : बादल सरोज

शिवराज में कानून व्यवस्था का पूरा तंत्र राजनेताओं के भ्रष्टाचार की कमाई जुटाने और उन्हें बचाने का जरिया बनकर रह गया है । रानू की हत्या में ये भी शरीके जुर्म हैं।

सिवनी। कन्या महाविद्यालय के बाहर 20 अगस्त को उसी के गांव के एक कामुक पुरुष अनिल मिश्रा द्वारा सरेआम निर्दयता से मार डाली गयी रानू नागोत्रा को इंसाफ दिलवाने के लिए आज 23 अगस्त को सिवनी में एक विरोध कार्यवाही हुई जिसमें सीटू राज्य उपाध्यक्ष बादल सरोज, किसान सभा राज्य उपाध्यक्ष रामनारायण कुररिया सहित सीपीएम एवं कई जनसंगठनों के भी नेता शामिल हुए ।
 
एक कतिया दलित परिवार में जन्मी 22 साल की रानू की माँ आशा कार्यकर्ता है । आज की विरोध कार्यवाही की पहल सीटू से जुड़ी आशा यूनियन ने की थी।
 
कलेक्ट्री पर हुए प्रदर्शन से पहले सिवनी के गांधी भवन में आंदोलनकारियों के बीच बोलते हुए बादल सरोज ने आक्रोश व्यक्त किया कि दिन में 11.30 अपने ही कॉलेज के ठीक बाहर, शहर पुलिस कोतवाली के ठीक पड़ोस में अनेक लोगों की मौजूदगी में दीवार से सर टकरा टकरा कर मार डाला जाना सभ्य समाज और कानून के राज के लिए शर्म और लानत की बात है ।
 
उन्होने कहा कि फरवरी में ही रानू द्वारा इस घिनौने आदमी द्वारा परेशान करने और छेड़छाड़ की शिकायत पुलिस में दर्ज किए जाने के बाद भी इस घटना का घटित होना - हत्या के बाद भी हत्यारे को पकड़ने के लिए पुलिस की बजाय दो बहादुर नागरिकों का आगे बढ़ना साफ करता है कि शिवराज में कानून व्यवस्था का पूरा तंत्र राजनेताओं के भ्रष्टाचार की कमाई जुटाने और उन्हें बचाने  का जरिया बनकर रह गया है । रानू की हत्या में ये भी शरीके जुर्म हैं।
 
लड़कियों तथा औरतों पर बढ़ते यौन अत्याचारों के पीछे वह मनुस्मृति आधारित पुरुषवादी सोच है जिसके पैरोकार इन दिनों दिल्ली-भोपाल की सरकारों में बैठे हैं और या तो खुद बलात्कारों की घटनाओं में शामिल हैं या फिर बलात्कारियों की हिमायत में खड़े हैं । उन्हें संरक्षण दे रहे हैं । हरेक मामले में स्त्रियों के पहनावे और उनके बाहर निकलने को दोषी ठहरा रहे हैं । यही सोच है जो इस तरह के अपराधों का माहौल तैयार करता है ।
यही मानसिकता और सरकारें हैं जो बाजार के मुनाफे के लिए पोर्न साइट्स पर रोक लगाने के लिए भी तैयार नही हैं ।
मृतका की स्मृति में मौन भी रखा गया ।
प्रदर्शन के बाद आशा कार्यकर्ता - सहयोगिनी यूनियन की अध्यक्षा कुसुम डेहरिया के नेतृत्व में कलेक्टर को दिए गए ज्ञापन में हत्यारे को कठोरतम दण्ड, उसके मामले में लापरवाही करने वाले पुलिस अफसरों के विरुध्द कार्यवाही, रानू के परिजनों को मुआवजा तथा परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने की मांग की ।
इस विरोध कार्यवाही में सीपीएम सचिव तीरथ प्रसाद गजभिये, एस के पटेल, अनिल सल्लाम, मनील सोनी, कबूत मर्सकोले आदि भी शामिल हुए ।

Leave a Comment