भोपाल। पूर्व की शिवराज सरकार के 450 करोड़ रुपए के बहुचर्चित पौघारोपण घोटाले में वन विभाग की ओर से क्लीन चिट देने के प्रयासों को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने गंभीर घटना बताते हुए कांग्रेस और मुख्यमंत्री को इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि पूर्व की शिवराज सरकार ने नर्मदा और अन्य नदियों से हो रहे अवैध और अंधाधुंध से ध्यान हटाने के लिए सात करोड़ दस लाख पौधे लगाने का दावा किया था।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त आश्य का बयान जारी करते हुए कहा है कि विधान सभा चुनावों के दौरान यह घोटाला कांग्रेस के प्रमुख मुद्दों में से एक रहा है। मगर कांग्रेस की सरकार गठन के बाद वन विभाग के अपर सचिव की ओर से घोटाले की जांच ईडी को सौंपने की बजाय आरोपियों को ही क्लीनचिट देने का प्रस्ताव भेजा है।
माकपा की मांग है कि कमलनाथ सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उसकी सरकार ने इस घोटाले की जांच कर ली है? और यदि जांच को भटकाने की कोशिश एक नौकरशाह द्धारा की जा रही है तो फिर उस अधिकारी के खिलाफ उचित कार्यवाही की जानी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि इस घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मंत्री डा. गौरी शंकर शेजवार संदेह के घेरे में हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अनुसार कमलनाथ सरकार के वन और गृहमंत्री के अलग अलग बयान भी संदेह ही पैदा करने वाले हैं। माकपा ने फिर दोहराया है कि कांग्रेस ने अपने वचनपत्र में जन आयोग गठित कर हर घोटाले की जांच करने का वादा किया था। अब जरूरी हो गया है कि जन आयोग गठित कर घोटाले की जांच की जाये।
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