भोपाल। गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति, सीटू व् अन्य जनसंगठनों द्वारा यूनियन कार्बाइड पर भोपाल गैस कांड की बरसी का आयोजन अमेरिकन साम्राज्यवाद विरोधी दिवस के रूप में आयोजित किया गया। भोपाल सहित हिरोशिमा, नागासाकी, ईराक़, लीबिया, अफगानिस्तान सहित दुनिया भर के अमेरिकी साम्राज्यवाद के विरुद्ध संघर्ष को याद करते हुए शहीदो की बलिदान वेदी पर गैस पीड़ितों ने फूल अर्पण किये ।
यूनियन कार्बाइड पर आयोजित सभा के दौरान भोपाल गैस पीड़ित और जहरीले पानी पीड़ितो ने 33 वर्ष से चल रहे अपने संघर्ष को जारी रखने का संकल्प भी लिया। संकल्प सभा के दौरान विभिन्न वक्ताओं ने सभा में गैस कांड के ज्वलंत मुद्दों को उठाया। सभा की शुरुआत में नाबीना गैस पीड़ित शायर फराज आनंद निकेतन डेमोक्रेटिक स्कूल व सरोकार संस्था ने गीत प्रस्तुत किये।
खतरनाक जहर से भूजल हो रहा प्रदूषित
सभा की शुरुआत में साधना कार्णिक ने कहा कि 33 वर्ष बाद भी केवल 25000-25000 का मुआवजा मिला है। भोपाल के 5 लाख से अधिक गैस पीड़ित आज भी न्यायपूर्ण मुआवजे की राह देख रहे है। लेकिन केंद्र व् राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में गैस पीड़ितों का फर्जी क्लेम मेडिकल व फर्जी 8 मुआवजे के आंकड़े तक दुरुस्त करने को तैयार नही है। सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने केवल 1 लाख गैस पीड़ित दर्शा कर उनका मुआवजा 5 लाख 75 हजार पीड़ितों में बांट दिया जबकि 5 हजार मौतों का मुआवजा 15 हजार मृतकों के परिवारों में बांटा गया। कार्बाइड फैक्ट्री के अंदर और बाहर फेके गए खतरनाक जहरों के जमीन के अंदर रिसाव के कारण क्ष्रेत्र का भूजल प्रदूषित हो चुका है।
परंतु केंद्र व राज्य सरकार जहरों के ऊपर जहरीला भोपाल स्मारक बनाना चाहती है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद गैस पीड़ित क्षेत्र में पीने के पानी के सही वितरण न होने के कारण जनता आज भी जहरीला पानी पीने हेतु मजबूर है। गैस पीड़ितों की तीसरी पीढ़ी भी अनुवाशिंक रूप से गैस के जहरों से प्रभावित है।
अस्पताल में डाक्टर है न दवाइयां
अनुवांशिक बीमारी होने के बावजूद गैस पीड़ितों के बच्चो को मुआवजे से वंचित रखा गया है। भोपाल गैस पीड़ितों की बीमारियों पर रिसर्च हेतु केंद्र सरकार के आई सीएमआर द्वारा शुरू किये गये नीरे में गैस पीड़ितों पर रिसर्च बंद कर दिया गया है। गैस पीड़ित उर्मिला ने कहा कि गैस राहत अस्पतालों में न तो डॉक्टर है न दवाइयां। गैस राहत अब अस्पताल ठेके पर दिये जा रहे है। गैस पीड़ितों हेतु एकमात्र सुपरस्पेशलिटी भोपाल अस्पताल में डॉक्टर और दवाइयां तक नही है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अस्पताल में गैस पीड़ितो तथा उनके बच्चो के स्मार्ट कार्ड तक नही बनाये जा रहे है। गैस राहत अस्पतालो में करोड़ो रुपये की जाँच की मशीनें भी खराब पड़ी है। सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन सीटू के पी एन वर्मा ने कहा कि गैस पीड़ितों के लगातार संघर्ष के कारण भोपाल मेमोरियल अस्पताल प्राइवेट ट्रस्ट से लेकर केंद्र सरकार के हाथ में दिया गया। गैस पीड़ितों के संघर्ष के कारण ही केंद्र सरकार के द्वारा भोपाल अस्पताल के एम्स से लिंकेज की घोषणा की गई है। परंतू लिंकेज की प्रक्रिया में भोपाल अस्पताल में गैस पीड़ितों के इलाज का विशिष्ट दर्जा बरकरार रखने की जरुरत है।
मोदी सरकार ने की विधवा पेंशन
गैस पीड़ित विधवा हो चुकी कस्मरुन्निसा ने रोते हुए पीड़ा व्यक्त की कि वर्ष 2016 से गैस पीड़ित विधवा पेंशन 1000/- प्रतिमाह भी बंद हो चुकी है जिससे वे आर्थिक संकट में है उनका पेंशन खाता भी न्यूनतम बैलेंस न होने के कारण बंद कर दिया गया है। बुढ़ापे व गंभीर बीमारी की हालत में गैस पीड़ित राहत व रोजगार की तलाश में दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है। सभा म जेपीें नगर के गैस पीड़ित शहजाद ने कहा कि घर घर में गैस पीड़ित बीमार पड़े है लेकिन कोई उनकी सुध लेने वाला नही है
सोवियत क्रांति की 100 वी वर्षगांठ
जनवादी लेखक संघ के रामप्रकाश त्रिपाठी ने 3 दिसम्बर को भोपाल के माहौल को याद किया। एलआईसी यूनियन के मुकेश भदौरिया ने कहा कि इस वर्ष सोवियत क्रांति की 100 वी वर्षगांठ है। भोपाल सहित दुनियां के सारे प्रतिरोध के आंदोलनों का स्कूल है। सभा को सीपीआइ के शेलेंद्र शैली ने संबोधित करते हुए आंदोलन का समर्थन किया और भाजपा सरकारों की गैस पीड़ित विरोधी नीतियों की तीखी आलोचना की। सभा को एटक के नेता रूपसिंह ने भी संबिधित किया।
अमेरिकी साम्राज्यवादपरस्त नीतियों के कारण भोपाल गैस कांड हुआ
प्रख्यात कवि एवं सभा के अध्यक्ष राजेश जोशी ने कहा कि भारत की अमेरिकी साम्राज्यवादपरस्त नीतियों के कारण भोपाल गैस कांड हुआ। उन्होंने कहा की सरकार यहाँ स्मारक बनाना चाहती है तो उस पर लिखना चाहिए कि यह सरकार की नाकामी है, यह स्मारक सरकारी गलतियों का स्मारक है।.उन्होंने कहा की न्याय की लड़ाई लम्बी होती है लेकिन हम लड़ेगे और जीतेगे । सभा में सीपीआइ , सीपीएम , सीटू, एआईपीएसएन , केंद्रीय कर्मचारी संगठन, स्टूडेंट फेडरेशन, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, एलआईसी , मप्र विज्ञान सभा, आदि संगठनों के नेता तथा बड़ी संख्या में गैस पीड़ित उपस्थित थे।
सभा में निम्न मांगपत्र स्वीकृत किया गया
1.पूर्व में केवल 25000 मुआवजा प्राप्त भोपाल के गंभीर रूप से बीमार गैस पीड़ितों को सही एवं न्यायपूर्ण मुआवजा दो
राज्य व् केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत गैस पीड़ितों के त्रुटिपूर्ण आंकड़े दुरुस्त करो
2.गैस कांड के बाद जिनकी मृत्यु हुई उन सभी गैस पीड़ित मृतकों के परिजनों को मुआवजा दो
3.सभी गैस पीड़ितों का पूरा ईलाज , पुनर्वास कर उनके परिवार को रोजगार दो
4.बंद गैस पीड़ित विधवा पेंशन पुनः शुरू की करो
गैस पीड़ित तथा सभी निराश्रित पेंशन न्यूनतम रुपये 5000/- प्रतिमाह की करो
5.जहरीले पानी पीड़ितों तथा उनके बच्चो का पंजीयन कर उन्हें मुआवजा दो
6. भोपाल मेमोरियल के एम्स से लिंकेज में गैस पीड़ितों के विशिष्ट दर्जे का ध्यान रखा रखो
भोपाल मेमिरियल अस्पताल में तत्काल गैस पीड़ित परिवारों के बच्चो के कार्ड बनाओ
7.गैस राहत अस्पतालों का काम ठेके पर देना बंद करो
अस्पतालों में डॉक्टर , स्टाफ , जाँच मशीने व् दवाइयां लाओ
8.गैस पीडित स्मारक बनाने से पूर्व
अंतरराष्ट्रीय मानदंडो के अनुसार जहरीले कचरे की सफाई करो
यूसीसी--डॉव से सफाई का हर्जाना वसूलो
9.गैस पीड़ित परिवार के युवाओ को मुफ्त शिक्षा एवं रोजगार दो
10. गैस पीड़ितों हेतु खोले गये आईसीएमआर के केंद्र नीरे में गैस पीड़ितों की बीमारियों पर रिसर्च करो
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