भोपाल। वामपंथी दलों ने बाबरी मस्जिद ध्वंस की 25वीं बरसी को काले दिवस के रुप में मनाई। भोपाल में तीन वामपंथी दलों मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और एसयूसीआई (सी) ने मिलकर धरने का आयोजन किया। इस अवसर पर हुई सभा को संबोधित करते हुए माकपा राज्य सचिव मंडल सदस्य प्रमोद प्रधान सहित सीपीआई के शैलेन्द्र सिंह शैली, एसयूसीआई (सी) के जेसी बरई सहित साहित्यकार रामप्रकाश त्रिपाठी व अन्य वामपंथी नेताओं पी.वी.रामचंद्रन, पीएन वर्मा, जोली सरकार, दीपक पासवान, विनोद, लीला श्रीवास्तव, मुदित भटनागर सहित अन्य नेताओं ने संबोधित किया।
वक्ताओं ने संबोधित करते हुए कहा कि 25 वर्ष पहले बाबरी मस्जिद पर हमला सिर्फ मस्जिद पर हमला नहीं था, यह सोची समझी साजिश का हिस्सा था इसके निशाने पर भारतीय संविधान और कानून था। यह महज मंदिर-मस्जिद का मामला नहीं था। एक ओर यह संविधान पर हमला था तो दूसरी ओर जनता की रोजी रोटी पर हमला था। यह हमला उस स्वीकृत मान्यता धर्मनिरपेक्षता पर था जो सभी भारतीय के बीच एकता कायम करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह हमला उस विचारधारा की ओर से था जिसने महात्मा गांधी की हत्या में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
#Bhopal बाबरी मस्जिद विध्वंस की 25वीं बरसी को वाम दलो ने भोपाल, मध्यप्रदेश में काला दिवस के रूप में मनाया। #काला_दिवस#BlackDay #BabriDemolition pic.twitter.com/7xPR2YkfFu
— CPI(M) मध्य प्रदेश (@mpcpimspeak) December 6, 2017
बहुलतावादी संस्कृति पर हमला
वक्ताओं की ओर से कहा गया कि यह हमला हमारी बहुलतावादी संस्कृति पर है। हमारी सर्वमान्य परम्पराओं पर है। बाबरी मस्जिद ध्वंस के बाद नफरत फैलाने का काम तेजी से किया गया। इसमें गरीब के की रोजी-रोटी, नौजवानो के रोजगार, छात्रों की शिक्षा पर निर्ममता से हमले हुए। इसलिए जरूरी है कि हम इसे व्यापक रुप में समझे और इस साजिश को नाकाम करने के लिए व्यापक एकता बनाये।
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