सुधारनेे की जिम्मेदारी निबाहें डी जी पी
भोपाल । मुरैना में दिन दहाड़े बस से उतार कर दहेज़ पीड़िता और उसके पिता की गोली मार कर की गयी ह्त्या और रीवा में युवा मनोज पटेल की पुलिस हिरासत में पिटाई करके की गयी हत्यायें मध्यप्रदेश की पुलिस के अपराधीकरण के मुकम्मिल हो जाने के दो ताजे उदाहरण हैं ।
माकपा राज्य सचिव बादल सरोज ने कहा कि पहले मामले में पुलिस शुरू से ही अपराधियों से मिली हुयी थी । यहां तक कि जब पिता और बेटी को बस से उतारा गया था सवारियों द्वारा उसी समय पुलिस को फोन कर दिया गया था - मगर उसकी ओर से कोई प्रयास तक नहीँ किया गया । रीवा में तो खुद पुलिस ने ही हत्या कर डाली ।
उनहोंने कहा कि राजनीतिक भ्रष्टाचार में राजनेताओं की मददगार बना पुलिस महकमा अब लगभग पूरी तरह से सीधे अपराधियों का संगठित गिरोह बन चुका है, एक ऐसा गिरोह जिसे पूर्ण राजनीतिक वरदहस्त प्राप्त है ।
सीपीएम_मध्यप्रदेश प्रदेश के पुलिस महानिदेशक से उम्मीद करती है कि वे अपने विभाग की इस शोचनीय स्थिति का संज्ञान लेंगे और बिना अपराधी और भ्रष्ट राजनेताओं की परवाह किये इसे सक्षम तथा प्रोफेशनल सुरक्षाबल बनाने के लिए जरूरी कदम उठायेंगे । इसकी शुरुआत मुरैना और रीवा दोनों के दोषी अधिकारीयों की गिरफ्तारी से करेंगे ।
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