भोपाल . नवम्बर 2014 में हुई सीबीआई अदालत के जज एच पी लोया की मौत की परिस्थितियों के बारे में समाचार माध्यमों में खुलासे हुये हैं । जज लोया 2005 में हुयी सोहराबुद्दीन की एनकाउंटर में की गयी हत्या के मामले की सुनवाई कर रहे थे। जज लोया के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि सुनवाई के दौरान उन्हें घूस देने और डराने धमकाने की कोशिश की गयी थी। इन सबने काफी विचलित कर देने वाले सवाल खड़े किये हैं जो हत्या, रिश्वत, कानून को धता बताने, तथा उच्चतम स्तर से संसदीय लोकतंत्र की संस्थाओं को मन मुताबिक तोडऩे मरोडऩे की कोशिशों से जुड़े हैं। उक्त आशय की बात मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की पोलिट ब्यूरो सदस्य एवं पूर्व सांसद सुभाषिणी अली ने कही। उन्होंने कहा कि इन सबकी गंभीरता से जांच की जानी चाहिये। सीपीएम पोलिट ब्यूरो ने इसकी एक उच्च स्तरीय न्यायिक जांच गठित कर इन सबकी जांच की मांग की।
सुभाषिणी अली ने कहा कि व्यापमं के अनगिनत कांडों में से एक पीएमटी 2012 के घोटाले के सिलसिले में कुछ निजी मेडीकल कॉलेज एवं अन्य अधिकारियों के विरुद्ध सीबीआई चार्जशीट एवं गिरफ्तारियों की खबर है। यह सिर्फ कुछ मामलो से जुड़े प्रकरण है जिनमें कार्यवाही हुई बताई गई है। यदि यही रफ्तार रही तो सभी मामलों में चार्जशीट दाखिल होने और फैसला आने में एक सदी लग जाएगी।
उन्होंने कहा कि इन प्रकरणों में भी इस घोटाले के राजनीतिक सूत्रधार साफ बचाये जा रहे है। जांच में देरी करके और सत्ता में बैठे लोगों का तोता बनकर सीबीआई ने निराश किया है। सबूत जुटाने की बजाय सीबीआई का मुख्य जोर सबूतो को रफा दफा करने पर अधिक रहा है।
उन्होंने कहा कि व्यापमं की जांच भी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए।
माकपा नेत्री सुभाषिणी अली ने कहा कि मंदसौर के किसान आक्रोश से कोई सबक लेकर फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का पक्का प्रबंध करने की बजाय म.प्र. सरकार भावांतर का ऐसा छलावा लेकर आई है। जिसने किसानों की लूट को संस्थागत रुप तथा मान्यता प्रदान कर दी है। जिन फसलों के लिए भावांतर लागू करने का दावा था उन्हीं उड़द जैसी फसलों के दाम किसानों को एमएसपी का एक चौथाई भी नहीं मिल रहे।
उन्होंने कहा कि भावांतर समाप्त किया जाना चाहिए। लागत से ड्यौढ़ी कीमत पर पूरी उपज खरीदने की गारंटी दी जानी चाहिए तथा उसका नगद भुगतान किया जाना चाहिए। किसानों के सारे कर्जे माफ किए जाने चाहिए।
सुभाषिणी ने कहा कि निजी बीमा कंपनियों द्वारा की जा रही लूट हाल के दौर के सबसे बड़े घोटालों में से एक है। किसानों को राहत देने के बजाय इन कंपनियों ने हजारों करोड़ रुपए कमा लिए है। इस सरासर धांधली को खत्म किया जाना चाहिए तथा खुद सरकार को फसल बीमा का जिम्मा लेना चाहिए।
सुभाषिणी का कहना था कि विस्थापितो के आंदोलनों और तथ्यपूर्ण जानकारियां सामने लाये जाने के बाबजूद नर्मदा पुनर्वास एक हास्यास्पद त्रासदी में बदल कर गया है। सरदार सरोवर के लिए की गई हड़बड़ी की वजह गुजरात की कारपोरेट की कंपनियों को म.प्र. का पानी देने की थी, जो अब कोकाकोला को दिये जा रहे इफरात पानी से सामने आ गई है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सेवा निवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में पुनर्वास घोटाले और पानी की इस लूट के पहलू,जांच के लिए सौंपे जाने चाहिए। कारपोरेट कंपनियों को पानी देना बंद कर सबसे पहले पूर्ण पुनर्वास व मुआवजे का मसला सुलझाया जाना चाहिए।
सुभाषिणी अली ने कहा कि बिना देखें ही फिल्म पद्मावती को प्रतिबंधित करना ठीक नहीं है, उन्होंने कहा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पदमावती की इज्जत की ज्यादा चिंता है लेकिन प्रदेश में महिलाओं, बच्चियों के साथ हो रहे बलात्कार पर सरकार व प्रशासन गंभीर नहीं है, उन्हें इसकी कोई चिंता नहीं है।
हर तीन वर्ष में होने वाले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सम्मेलन के बारे में जानकारी देते हुए सुभाषिणी अली ने कहा कि पार्टी का 15वां राज्य सम्मेलन 16 से 18 दिसम्बर 2017 को मुरैना जिले के सबलगढ़ में होगा।
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