भोपाल। आवारा गायों द्वारा 80 गांवों की फसलों को बर्बाद करने के विरोध में 8 दिसंबर को मध्यप्रदेश किसान सभा के नेतृत्व में मुरेना जिले की कैलारस तहसील पर हुए आंदोलन की मध्यप्रदेश किसान सभा के नेतृत्व में हजारों किसानों के आंदोलन की मांगों पर प्रशासन द्वारा सहमति व्यक्त करने और मांगों का समाधान करने के 48 घंटे बाद मध्यप्रदेश किसान सभा के प्रदेश महासचिव अशोक तिवारी और किसान नेता गयाराम सिंह धाकड़ सहित सैंकड़ों किसानों पर लगाये गए मुकदमें राजनीतिक दबाव में तथा सरकार की दमनात्मक मानसिकता का प्रमाण है। मध्यप्रदेश किसान सभा इन मुकदमों को वापस लेने की मांग करती है। उक्त आशय की बात किसान सभा के राज्य अध्यक्ष जसविंदर सिंह ने कहीं।
किसान नेता ने कहा कि खेतों की खड़ी फसलों को अवारा गायों से बचाने के लिए 80 गांव के किसानों ने 8 दिसंबर को दो हजार के अधिक अवारा गायों के घेर कर तहसील में लाकर इन्हें गौशाला में पहुंचाने की मांग की थी। दिन भर के आंदोलन के बाद प्रशासन ने उक्त गायों को वाहनों से विभिन्न गौशालों में पहुंचवाया था। प्रशासन की ओर से पंचायतों के लिए यह आदेश भी जारी किया गया है कि अवारा गायों से फसल को बचाने के लिए 14वें वित्त आयोग की राशि से गायों को पकड़ कर गौशालों में पहुंचाने की व्यवस्था की जाये।
उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा की गई इस व्यवस्था से साफ है कि प्रशासन आवारा गायों की समस्या को स्वीकार करता है, इसीलिए ध्यानाकर्षण के बाद उसने इसके समाधान के लिए कदम उठाये हैं। किंतु इसके साथ ही आंदोलन के 48 घंटे बाद प्रशासन द्वारा नेताओं पर मुकदमें दर्ज करना साबित करता है कि यह राजनीतिक दबाव में किया गया कार्य है। मध्यप्रदेश किसान सभा प्रशासन के इस कदम की निंदा करते हुए मुकदमें वापस लेने की मांग की करती है।
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