Sidebar Menu

Badal Saroj

लेखक लोकजतन के संपादक एवं अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव हैं.

कठघरे में जटायु ? त्रिपुरा 1

  • Mar 06, 2018

यह समय इस तरह की लापरवाही का नहीं है । दांव पर वाम नहीं है, देश और अवाम है ।

Read More

मध्यप्रदेश ; उपचुनाव के नतीजों में दर्ज सन्देश

  • Mar 01, 2018

गंभीर राजनीति गंभीर विश्लेषण मांगती है। हार में जीत की सम्भावनायें - जीत में हार की आशंकायें देखने का शऊर सिखाती है। मध्यप्रदेश विधानसभा की इन दोनों सीटों के उपचुनावों में जीत का जश्न मनाने और उसके लिए श्रेय बटोरने की जल्दबाजी , वोटों की कमी के लिए इधर उधर के बहाने तलाशने की बजाय असली कारण देखने चाहिए और नया सारथी और रथ ढूंढने की बजाय रास्ते और मंजिल के बारे में सोचना चाहिए।

Read More

कासगंज के अंदेशे

  • Jan 30, 2018

उन्माद फैलाने के लिए प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक गोदी मीडिया और प्रोफेशनली अनप्रोफेशनल सोशल मीडिया के जरिये झूठ और भड़कावे की जी तोड़ कोशिशों के बावजूद अंततः 26 जनवरी को कासगंज में घटित घटना का असली सच उजागर होकर आ ही गया है ।

Read More

जीवन बचाने की छटपटाहट ने मिटाया मौत का डर

  • Jan 03, 2018

ईरान उबला पड़ा है । हजारों लोग सरकार और उसके धर्मगुरु मुखिया अयातुल्ला खोमैनी के खिलाफ सडकों पर हैं । अनेक मौतों और सुरक्षाबलों की छुट्टा गोलीबारी के बाद भी स्थिति काबू में नहीं आ पा रही ।

Read More

मसला मन्दिर मस्जिद न था न है

  • Dec 06, 2017

चौथाई सदी पहले हुयी इस बर्बरता के निशाने पर क्या ये तीन गुम्बद और वह ढांचा भर था जिसे बाबरी मस्जिद कहा जाता था ? नहीं ।

Read More