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Badal Saroj

लेखक लोकजतन के संपादक एवं अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव हैं.

लेकिन किन्तु परन्तु अगर मगर फिर भी से परे है मोरोना वायरस

  • Apr 04, 2020

बीते बुधवार को इंदौर की टाटपट्टी बाखल में कोरोना संभावित बुजुर्ग को जांच के लिए लेने गयी डॉ ज़ाकिया सैयद और नर्सेज, पैरा मेडिकल स्टाफ के साथ जिस तरह की बेहूदगी और बदतमीजी हुयी उसकी सिर्फ निंदा, भर्त्सना और मज़म्मत ही की जा सकती है। उसे लेकर किसी भी लेकिन, किन्तु, परन्तु, अगर, मगर, फिर भी जैसी पतली गली तलाशना किसी मुकाम पर नहीं पहुंचाता। ऐसा करने वाले, कुछ जाने में और काफी कुछ अनजाने...

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पुनरावलोकन : हिंसक समय में गांधी 

  • Oct 01, 2019

गांधी को समझना है तो उन्हें भी उस समय की परिस्थितियों के साथ जोडक़र देखना होगा। गांधी की एक मुश्किल यह है कि उन्हें समग्रता में ही समझा जा सकता है। टुकड़ों में देखने का एक झंझट उसके एकांगी हो जाने का है। ऐसा करने से हरेक अपनी पसंद या नापसंद के गांधी तो ढूंढ सकता है - मगर गांधी को नहीं समझ सकता। 

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लोकजतन सम्मान 2019 : डॉ.राम विद्रोही-एक परिचय

  • Jul 26, 2019

पिछले सत्तावन सालो से पत्रकारिता से सक्रिय रूप से जुड़े हुए विद्रोही जी ऐसे व्यक्तित्व हैं ,जिनका नाम हिन्दी पत्रकारिता में उनका नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। उनका परिचय औपचारिक बॉयोडाटा के खांचे में नही समा सकता। तब भी पारंपरिक हिसाब से कहा जाए तो यह कि;   उनका जन्म 9 जुलाई 1943 को  मध्यप्रदेश के गुना में हुआ।  अपने पत्रकारिता के काम के दौरान वे दैनिक भास्कर-ग्वालियर,जय राजस्थान, राजस्थान पत्रिका उदयपुर-जोधपुर...

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सोनभद्र में कोलम्बस

  • Jul 26, 2019

इतिहास की एक विद्रूपता यह है कि इसे हमेशा जीतने वाले लिखते और लिखवाते हैं।  नतीजा यह होता है कि बिना किसी वजह अपने ही देश में अकल्पनीय निर्ममता से मार डाले गए लाखों निरपराधों का जघन्य नरसंहार बर्बरों की विजय गाथा और शौर्य के रूप में दर्ज किया जाता है।

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वामपंथ है कहाँ ? Where is the left ?

  • Aug 08, 2018

यह उस अवाम का ऑनेस्ट सवाल है जो वर्तमान परिदृश्य को देखकर चिंतित और फ़िक़्रमन्द है - जिसे वाम पर विश्वास है ।

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16 अप्रैल : जब हम सबके लिए खडा होगा कोयला मजदूर

  • Apr 11, 2018

व्यापारिक खनन से नुकसान ठीक वैसा ही जैसे 111 लाख करोड़ रुपयों की राशि वाले सार्वजनिक बैंकों का पासवर्ड नीरव मोदी को दे दिया जाये । सरल शब्दों में कहें तो निजी घरानों के हाथों में इसे दे दिए जाने के घाटे और खतरे बहुआयामी भी हैं दूरगामी भी हैं ।

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एकलव्य का अपराध : त्रिपुरा 4

  • Mar 10, 2018

एकलव्य का अपराध इस बार संगीन था । जो सीखा अपनी दम पर सीखा, न द्रोण से कुछ लिया - न अंगूठा दिया । खुद को हस्तिनापुर माने बैठों ने ज्यादा थानेदारी दिखाई तो अंगूठा दिखा जरूर दिया ।

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शम्बूक का पाप - त्रिपुरा 3

  • Mar 10, 2018

JNU, HCU, BHU जैसी यूनिवर्सटियों को मिटाने पर आमादा, मध्यप्रदेश में सवा लाख सरकारी स्कूलों को बन्द करके शंबूको के लिए शिक्षा के दरवाजे बन्द करने वाली संघ पोषित सरकारों की त्रिपुरा से असली चिढ यह है कि इसने उनकी आँखें खोल दी हैं । ये दरअसल बुद्दि-भीरू हैं ।

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अभिमन्यु की गलती - त्रिपुरा 2

  • Mar 06, 2018

इसलिये मार आर्तनाद मचा पड़ा था कि घेरो अभिमन्यु को, खतरनाक है उसका होना । जोड़ो पूरी खल मण्डली को । बीन ली गयी ऊपर से नीचे तक की पूरी कांग्रेस, समेट ली गयी तृणमूल कांग्रेस । न्यौता देकर बुलाये गए बांग्लादेश के बिलों में धकेल दिए गए अलग राष्ट्र का मंसूबा साधते आतंकी । छाँट छाँट कर चन्दनाभिषेक कर मंचासीन किये गए बलात्कारी और अपराधी ।

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