हमारे देश की सामाजिक-बनावट में जाति एक महत्वपूर्ण बुराई रही है। हज़ारों बरसों तक कथित ऊंचेपन की धौस पर चल-अचल संसाधनों पर बेजा कब्जा कर लिया गया। कथित नीचली जातियों का शोषण होता रहा।
Read Moreजब से आन लाइन मार्केटिंग शुरू हुयी है तब से आदमी नित्य क्रियाओं के लिए जाने के अलावा अपनी देहरी नहीं लाँघता। वैसे तो विद्या बालान ने मोदी जी के आग्रह पर घर घर शौचालय बनवा दिये हैं
Read Moreरजनीश ने कहा है कि जब भी किसी की मृत्यु की बात होती है तो आदमी गम्भीर हो जाता है। उसके दहशत में आ जाने का कारण यह होता है कि उसे अपनी मौत याद आ जाती है।
Read Moreविश्व कविता में आज चीले के मशहूर कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता पाब्लो नेरूदा की एक कविता
Read Moreसरदार सरोवर परियोजना के तहत बड़वानी जिले में बरसों से स्थापित महात्मा गाँधी की समाधि को मध्यप्रदेश सरकार ने जेसीबी मशाीनों से उखाड़ दिया । इस समाधि में कस्तूरबा गाँधी और महादेव भाई देसाई के भी अस्थिकलश थे, उन्हें भी उखाड़ दिया गया ।
Read Moreवे जानते हैं कि हमारी स्कूली-व्यवस्था बाल-मन के अनुकूल नहीं है। स्कूल परिसरों को हमने नीरस बना रखा है। पढ़ाने की हमारी पद्धतियां बच्चों में सीखने की ललक पैदा नहीं कर पा रही। स्कूल-प्रबंधन ना-ना कागज़ी कार्रवाइयों में उलझा रहता है। पढ़ाने की बजाय शिक्षक विविध रजिस्टरों को भरने में व्यस्त रहता है। पढ़ाने के लिए उसके पास न समय बचता है न दिलचस्पी।
Read Moreअब नृत्य , नाटक , संगीत याने सभी प्रदर्शनकारी कलाएँ जी एस टी की जद में हैं । एक समय था जब नाटक या संगीत आदि कलाओं के कार्यक्रमों पर 25 प्रतिशत मनोरंजन कर लगता था।
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