इस बार की महामारी कौन सा रास्ता लेगी, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। वैश्विक महामारियां विचित्र पैटर्नों का प्रदर्शन करती हैं।
Read More25 जनवरी को इस बीमारी का मुकाबला करने के लिए जरूरी कदमों के संबंध में स्वास्थ्य अधिकारियों और स्थानीय स्वशासी संस्थाओं के लिए, आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए। 28 जनवरी तक, जिलों में भी नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जा चुके थे।
Read Moreबजाय राहत देने के पूरे प्रदेश में आम जनता पर पुलिसिया हमले जरूर हुए हैं। लेकिन मुख्यमंत्री ने इन शर्मनाक घटनाओं पर भी न केवल चुप्पी साध ली है, बल्कि पुलिस की पीठ थपथपाने का ही काम किया है।
Read Moreबीते बुधवार को इंदौर की टाटपट्टी बाखल में कोरोना संभावित बुजुर्ग को जांच के लिए लेने गयी डॉ ज़ाकिया सैयद और नर्सेज, पैरा मेडिकल स्टाफ के साथ जिस तरह की बेहूदगी और बदतमीजी हुयी उसकी सिर्फ निंदा, भर्त्सना और मज़म्मत ही की जा सकती है। उसे लेकर किसी भी लेकिन, किन्तु, परन्तु, अगर, मगर, फिर भी जैसी पतली गली तलाशना किसी मुकाम पर नहीं पहुंचाता। ऐसा करने वाले, कुछ जाने में और काफी कुछ अनजाने...
Read Moreसिंधु घाटी सभ्यता का निर्माण ऐसे लोगों ने किया था जिनके जैनेटिक संरचना में स्तेपी की निशानियां नहीं थीं, जबकि आज की उसी क्षेत्र की आबादी में या कम से कम दक्षिण एशिया के सवर्ण पुरुषों में स्तेपी के लोगों की ये निशानियां प्रमुखता से पायी जाती हैं।
Read Moreकम्युनिस्ट पार्टी के सौ बरसों का दौर जबर्दस्त संघर्षों का, आजादी की लड़ाई के दौरान और आगे चलकर आजादी के बाद भी, अनगिनत क्रांतिकारियों की जबर्दस्त कुर्बानियों का और जनता के मुद्दों को राष्ट्रीय एजेंडे पर लाने में उनके उल्लेखनीय योगदानों का दौर है।
Read Moreजनता का घोषणापत्र मूलत: विभिन्न सामाजिक संगठनों (किसानों के, मजदूरों के, दलितों के, महिलाओं के, माईनोरटिज के, सरकारी गैर सरकारी कर्मचारियों आदि के संगठन) के अग्रणी कार्यकर्ताओं व व्यक्तिगत तौर पर जागरूक नागरिकों ने बनाया है.।
Read More‘अगरतला शहर और आसपास के कस्बों-शहरों मे जहां जैसे तैसे अखबार को पहुंचाया गया, वहाँ अखबार लगाने वाले हाकर्स को धमकी दी गई। अनेक हाकर्स पर हमले किए गए। उनके दफ्तर कब्जा कर लिए गए।’ ‘सारे सरकारी विज्ञापन रोक दिये गए । निजी विज्ञापंदाताओं पर भी प्रशासनिक और मनोवैज्ञानिक दबाब बनाया गया - उन विज्ञापनो को भी रुकवा दिया गया।’
Read Moreगांधी को समझना है तो उन्हें भी उस समय की परिस्थितियों के साथ जोडक़र देखना होगा। गांधी की एक मुश्किल यह है कि उन्हें समग्रता में ही समझा जा सकता है। टुकड़ों में देखने का एक झंझट उसके एकांगी हो जाने का है। ऐसा करने से हरेक अपनी पसंद या नापसंद के गांधी तो ढूंढ सकता है - मगर गांधी को नहीं समझ सकता।
Read Moreआप किसी भी अखबार की हैडलाईन उठा कर देख लीजिए-शीर्षक करीब करीब एक जैसे मिलेंगे: विष कन्यायें, ब्लैक मेलर और न जाने क्या क्या? इन शब्दों के उपयोग का अर्थ ही यही है कि सारा दोष इन्हीं का है हनी ट्रैप में लिप्त पुरुष तो इनके झांसे में आने वाले सीधे साधे, भोले भाले इंसान हैं, जिनको इन महिलाओं ने अपने जाल में फंसाया है।
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