लेखक-सी.पी .आई.(एम) पोलिट ब्यूरो सदस्य है
कोविड-19 महामारी ने, भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की भारी अपर्याप्तता और घनघोर अनदेखी को गहरेे रंग से रेखांकित कर सामने ला दिया है। लॉकडाउन के पचास दिन हो चुके हैं, फिर भी ऐसा लगता है कि मोदी सरकार ने इस घातक वाइरस का सामना करने के अनुभव से कोई सबक सीखा ही नहीं है। राज्य-दर-राज्य, सरकारी अस्पताल मरीजों की भारी संख्या और चिकित्सा सुविधाओं की भारी कमी के बोझ के तले बैठे जा रहे...
Read Moreकोविड-19 वाइरस ने जब तक भारत में अपना खास जोर दिखाया भी नहीं था, उस समय भी मोदी सरकार सीएए/एनआरसीविरोधी आवाजों को कुचलने में जुटी हुई थी।
Read Moreकोरोना वाइरस की महामारी से निपटने के संबंध में राष्ट्र के नाम प्रधानमंत्री के दो-दो संबोधन हुए हैं। इसके बावजूद सरकार ने, सिर पर मंडराती आर्थिक मंदी और लोगों की आजीविकाओं व आमदनियों में पडऩे वाले भारी बाधा का मुकाबला करने के लिए, किसी आर्थिक पैकेज की घोषणा तक नहीं की है। 24 मार्च को हुए अपने दूसरे संबोधन में प्रधानमंत्री ने 21 दिन के देशव्यापी लॉकडॉउन का एलान कर दिया।...
Read Moreसंसद के नागरिकता कानून पास करने के बाद गुुजरे एक पखवाड़े में हमने, भारत के हाल के राजनीतिक इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण आंदालनों में से एक को देखा है।
Read Moreआरएसएस प्रमुख का भाषण, हमारे देश में हुए दक्षिणपंथ के सुदृढ़ीकरण का सबूत है और आने वाले समय में जनतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, जनता की रोजी-रोटी और मौलिक अधिकारों पर होने जा रहे और ज्यादा हमलों की ओर इशारा करता है।
Read Moreइस्राइल के बेंजामिन नेतन्याहू की ही तरह, नरेन्द्र मोदी भी डोनाल्ड ट्रम्प के विचारधारात्मक सहोदर हैं। वे सभी दक्षिणपंथी इथनो-राष्ट्रवादी मिजाज के हैं।
Read Moreवास्तव में इस प्रक्रिया अब तक जिस तरह से चलायी जा रही थी, उससे कितनी ही आशंकाएं पैदा हुई हैं और वैध भारतीय नागरिकों के नाम दर्ज किए जाने के मामले में बहुत सारी त्रुटियां सामने आयी हैं।
Read Moreप्रज्ञा ठाकुर, 2008 के मालेगांव विस्फोट कांड की अभियुक्त है। उस पर उस गिरोह की मुखिया होने का आरोप है, जिसने मालेगांव विस्फोट में विस्फोट को अंजाम दिया था।
Read Moreसी पी आइ (एम) ने अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण को इस आधार पर सही ठहराया था कि इन तबकों को सामाजिक भेेदभाव झेलना पड़ा था जो संविधान के अनुसार उन्हें 'सामाजिक तथा शैक्षणिक रूप से पिछड़ा' बनाता है। इसलिए, अनुसूचित जाति तथा जनजाति की तरह, अन्य पिछड़ा वर्ग को भी आरक्षण दिए जाने की जरूरत थी।
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